________________ // 109 // // 110 // // 111 // // 112 // // 113 // // 114 // सिद्धाणाऽऽयरियाणं तह य उवज्झाय-सव्वसाहूणं / समणीण सावयाण य सावियवग्गस्स जा वि कया देवाणं देवीणं इहलोग-परे य साहुवग्गस्स / लोगस्स य कालस्स य सुयस्स आसायणा जा उ सुयदेवयाए जा वि य वायणआयरिय-सव्वजीवाणं / आसायणा उ रइया जा मे सा णिदिया एण्हेिं हीणक्खर अच्चक्खर विच्चामेलिय तहा य वाइद्धं / पयहीण घोसहीणं अकालसज्झाइयं जं च छउमत्थो मूढमणो केत्तियमेत्तं च संभरइ जीवो / जं पि ण सुमरामि अहं मिच्छा मिह दुक्कडं तस्स सम्मत्त-संजमाई किरियाकप्पं च बंभचेरं च / / आराहेमि य नाणं, विवरीयं वोसिरामि त्ति जं जिणवरेहिं भणियं मोक्खपहे किंचि साहगं वयणं / आराहेमि तयं चिय, मिच्छावयणं परिहरामि णिग्गंथं पावयणं सच्चं तच्चं च सासयं कसिणं / सारं गुरुसुंदरयं कल्लाणं मंगलं सेयं पावारिसल्लगत्तणसंसुद्धं सिद्धसुद्धसद्धम्म / दक्खारिसिद्धिमग्गं अवितहनिव्वाणमग्गं च एत्थं च ठिया जीवा सिझंती, कम्मुणा विमुच्चंति / पालेमि इमं तम्हा, फासेमि य सुद्धभावेणं सम्मत्त-गुत्तिजुत्तो विलुत्तमिच्छत्त अप्पमत्तो य / पंचसमिईहिं समिओ समणो हं संजओ एण्हेिं कायव्वाइं जाइं भणियाइं जिणेहिं मोक्खमग्गम्मि / जह तह ताई तइया न कयाइं पडिक्कमे तस्स // 115 // // 116 // // 118 / / // 119 // // 120 // 13