________________ "पता / कयसामाइयकम्मो सोहियइरियावहो समणचित्तो / इच्छियगोयरचरिओ पगामसेज्जाए विरओ य // 85 // मम मंगलमरहंता, सिद्धा, साहू य विणय-णाणधणा / केवलिणा पनत्तो जो धम्मो मंगलं सो मे // 86 // सरणं मह अरहंता, सिद्धा, साहू य बंभ-तवजुत्ता / केवलिणा पण्णत्तो धम्मो ताणं च सरणं च // 87 // जिणधम्मो मह माया, जणओ य गुरू, सहोयरो साहू। सहधम्मयरा मह बंधवा य, सेसं पुणो जालं // 88 // किं सारं ? जिणधम्मो, किं सरणं ? साहुणो जए सयले / किं सोक्खं ? सम्मत्तं, को बंधो नाम ? मिच्छत्तं // 89 // अस्संजमम्मि विरओ, राग-दोसे य बंधणं निदे। . मण-वयण-कायदंडे विरओ तिण्हं पि डंडाणं // 90 // गुत्तीहिं तीहिं गुत्तो, निस्सल्ो तह य तीहि सल्लेहिं.। मायानियाणसल्ले पडिक्कमे तह य मिच्छत्ते // 91 / / इडीगारवरहिओ, सात-रसागारवे पडिकंतो। / नाणविराहणरहिओ, संपण्णो दंसणे चरणे // 92 // तह कोह-माण-माया-लोभकसायस्स मे पडिक्कंतं / आहार-भय-परिग्गह-मेहुणसण्णं परिहरामि // 93 // इथिकह-भत्त-देसे रायकहा चेय मे पडिकंता / अट्ट रोई धम्मे सुक्कज्झाणे पडिक्कमणं // 94 // सह-रस-रूव-गंधे फासे य पडिक्कमामि कामगुणे / काइय-अहिगरणादीपंचहि किरियाहिं संकप्पे // 95 // पंचमहव्वयंजुत्तो पंचहिं समईहिं समियओ अहयं / छज्जीवनिकायाणं संरक्षणमाणसे जुत्तो // 96 // 11