________________ गुरु-बाल-तवस्सीणं समाणधम्माण वा वि सव्वाणं / वच्छल्लं ण कयं मे आहाराईहिं तं निंदे . मेरु व्व णिप्पकंपं जिणाण वयणं तहा वि सत्तीए। .... ण कयं पभावणं मे एस पमाओ तयं निंदे .. // 28 // पावयणी धम्मकही वाई णेमित्तिओ तवस्सी य। . विज्जासिद्धो य कवी अद्वैव पभावया भणिया // 29 // सव्वाणं पि पसंसा कायव्वा सव्वहा विसुद्धण। सा ण कया तं णिदे सम्मत्ताराहणा सा हु // 30 // पंच समिईओ सम्मं गुत्तीओ तिण्णि जाओ भणियाओ।.. पवयणमाईयाओ चारित्ताराहणा एसा // 31 // इरियावहे पवत्तो जुगमेत्तणिहित्तणयणणिक्खेवो / जं ण गओ हं तइयां मिच्छा मिह दुक्कडं तस्स // 32 // जंपतेणं तइया भासासमिएण जं ण आलत्तं / तस्स पमायस्साहं पायच्छित्तं पवज्जामि // 33 // वत्थे भत्ते पाणे पत्तेसणगहणघासमादीया। . एसणसमिई ण कया तं आणाखंडणं निदे // 34 // आयाणभंडमत्ते णिक्खेवण गहण ठावणे जं च / दुपमज्जियपडिलेहा एस पमाओ तयं निंदे // 35 // उच्चारे पासवणे खेले सिंघाण जल्ल समिईओ। दुप्पडिलेह-पमज्जिय उम्मग्गो णिदिओ सो हु // 36 // भंजंतो सीलवणं मत्तो मणकुंजरो वियरमाणो / जिणवयणवारिबंधे जेण ण गुत्तो तयं निंदे . // 37 // जो वयणवणदवग्गी पज्जलिओ डहइ संजमारामं / . मोणजलेण ण सित्तो एस पमाओ तयं निंदे . // 38 // 186