________________ // 828 // // 829 // // 830 // // 831 // // 832 // // 833 // झायइ जमेगदव्वं जोगेणेगेण ता पुहत्तं तं / सवियक्कं पुण तं चिय पुव्वगयसुयाणुसारेण . अत्थादीणं तिण्हं संकमणाभावओ अवीयारं / तं बिति तेण झाणं एगत्तवियक्कमवियारं सुहमम्मि कायजोगे केवलिणो होइ सुहुमकिरियं तु / अकिरियमणियट्टी पुण सेलेसीए चउत्थमिणं एवं कसायजुज्झम्मि होइ खवयस्स आउहं झाणं / झाणविहूणो न जिणइ जुद्धं व निराउहो सुहडो इय झायंतो खवओ जइया परिहीणवाइओ होइ / / आराहणाइ तइया इमाणि लिंगाणि दावेइ हुंकारंजलि-भमुहंजलीहिं अच्छीहिं वीरमुट्ठीहि / / सिरचालणेण य तहा सणं दावेइ सो खवओ तो पडिचरया खवयस्स दिति आराहणाइ उवओगं / जाणंति सुयरहस्सा कयण्णा तस्स माणसियं इय समभावमुवगओ तह झायंतो पसत्थझाणं च / .. लेसाहिं विसुज्झंतो गुणसेढिं सो समारुहइ किण्हाइकम्मदव्वाण सण्णिहाणेण जीवपरिणामो / लेस त्ति मोहणीयस्स ताई दव्वाइं नीसंदो / जंबूफलभक्खयपुरिसछक्कपरिणामभेयसंसिद्धो / हिंसादिभावहेऊ भण्णइ लेस त्ति परिणामो किण्हा नीला काऊ लेसाओ तिण्णि अप्पसत्थाओ / . चयइ सुविसुद्धकरणो संवेगमणुत्तरं पत्तो तेऊ पम्हा सुक्का लेसाओ तिण्णि सुप्पसत्थाओ। उवसंपज्जइ कमसो संवेगमणुत्तरं पत्तो // 834 // // 835 // // 836 // // 837 // // 838 // // 839 // 148