________________ नट्ट-चलवलिय-गिहिभास-मूय-ढड्डरसरं च मुत्तूणं / आलोएइ सुविहिओ सम्मं गुरुणो अभिमुहत्थो // 372 // पुढवि-दगा-ऽगणि-पवणे बीए पत्तेयऽणंतकाए य। बिय-तिय-चउ-पंचिंदियसत्तारंभे अणेगविहे // 373 // पिंडोवहि सिज्जाए गिहिमत्त निसिज्ज बाउसे लिंगे। . तेणिक्क राइभत्ते मेहुण्ण परिग्गहे मोसे // 374 // नाणे दंसण विरिए तवे य मणविरिय कायजोगे य / कय कारिए अणुमए आय-परपओगकरणे य . // 375 // . अद्धाणरोहए जणवए य राओ दिवाऽसिवे ओमे / .. दव्वाइसमावण्णं उद्धरइ कम अभिदंतो // 376 // इय पयविभागियं ओघियं च आलोयणं स दाऊणं / सव्वगुणसोहिकंखी गुरूवएसं समारुहइ // 377 // कयपावो वि मणूसो आलोइय निदिउं गुरुसयासे / होइ अइरेगलहुओ ओहरियभरो व्व भारवहो . // 378 // आलोयणं सुणित्ता तिक्खुत्तो भिक्खुणो उवाएणं / जइ उज्जुओ त्ति नज्जइ जहाकडं पट्टवेयव्वो // 379 // आउरसल्ले मोसे मालागररज्जकज्ज तिक्खुत्तो / आलोयणा वि एवं कायव्वा उज्जुयाऽऽहरणा // 380 // पडिसेवणाइयारे जइ नाऽऽउंटे जहक्कम सव्वे / न करिति तओ सोहिं आगमववहारिणो तस्स // 381 // पडिसेवणाइयारे जइ आउंटे जहक्कम सव्वे। कुव्वंति तओ सोहिं आगमववहारिणो तस्स // 382 // आलोइयम्मि खमएण छेयसुत्तऽत्थजाणगगणी सो।। तो आगमवी सम्मं करेइ सुत्ते य अत्थे य // 383 // 110