________________ // 348 // // 349 // // 350 // 351 // // 352 // // 353 // धण्णा ते भगवंतो सुट्टविसिटुं च जे कुणंति तवं / वयइ, निहीणो खु अहं, जं न समत्थो तवं काउं जाणह य मज्झ थामं गहणीदोबल्लया अणारोग्गं / तुम्ह पभावेण अहं सोही बहु नित्थरिस्सामि अणुमाणेऊण गुरुं एवं आलोयणं तओ पच्छा / कुणइ ससल्लो तो सो बिइओ आलोयणादोसो गुणकारओ त्ति भुंजइ जहा सुहत्थी अपत्थमाहारं / पच्छा विवायकडुयं सल्लविसोही तहेसा वि . जं होइ अण्णदिटुं तं आलोएइ गुरुसयासम्मि / अद्दिटुं गूहितो तइओ आलोयणादोसो जह वालुयाइ अयडो पूरइ उक्कीरमाणओ चेव / तह कम्मायाणकरी सल्लविसोही इमां होइ बायरमालोएई वयभंगो जत्थ जत्थ से जाओ। पच्छाएइ य सुहुमं चउत्थ आलोयणादोसो जह कंसियभिंगारो अंतो मइलो विसुद्धओ बाहिं / अंतो ससलदोसा सल्लविसोही तहेसा वि चंकमणे आयाणे निस्सिज्ज-तुयट्ट-मण-वईदोसे / उल्ल सिणिद्ध सरक्खे य गुव्विणी बालवच्छाए एमाइ लहुसगं जो आलोएइ य निगूहए थूलं / भय-मय-मायासहिओ होइ य से पंचमो दोसो रसपीयलं व कडयं, जह वा जुत्तीसुवण्णयं कडयं / . जह व जउपूरकडयं सल्लविसोही तहेव इमा - जइ मूलगुणे उत्तरगुणे य कस्सइ विराहणां हुज्जा / पढमे बिइए तइए य चउत्थे पंचमे व वए 108 // 354 // / / 355 // // 356 // // 357 // // 358 // // 359 //