________________ एगो संथारगओ चयइ सरीरं जिणोवएसेणं / अण्णो संलिहइ मुणी तुंगेहिं तवोवहाणेहिं . // 312 // तइओ नाणुण्णाओ-जयमाणस्स वि हविज्ज वाघाओ / पडिएसु दोसु तीसु वि समाहिकरणाणि हायंति // 313 // तम्हा पडिचरगाणं सम्मयमेगं पडिच्छए खवयं / भणइ य तं गणपुरओ पडिच्छिओ उज्जमिज्जासु // 314 // गणसंकमणं काउं इमेण विहिणा विहाडियममत्ता / आराहिंता सत्ता करिति दुक्खक्खयं धीरा // 315 // सियसुप्पसण्णवयणा सुवण्ण-रयणप्पसाहियसरीरा / सरलपयक्कमसुहया मतिसुहया जयइ सुयदेवी // 316 // भणियं गणसंकमणं, एण्हिं वोच्छं ममत्तवुच्छेयं / तम्मि य पडिदाराई इमाई दस संपवक्खामि // 317 // आलोयण गुण-दोसा सिज्जा संथारए य निज्जवया / दसण हाणी पच्चक्खाणं वह खामणा खमणं // 318 // तं भणइ गुरू विहिणा खवयं महुरक्खरं गणसमक्खं / आलोयणगुण-दोसे नाऊणाऽऽलोयणं देसु / . 319 / / दसविहधम्म सम्मं सेवंतो राग-दोस-मोहाणं / काउं उवसममणहं मुक्काहंकार-ममकारों // 320 // अइदुज्जयं पि इंदिय-कसाय-गारव-परीसहाणीयं / हयनायगं व विहुणिय अणाउलो लद्धमाहप्पो // 321 // आलोएसु विहीए सुविहिय ! मय-माण-मच्छरं छित्तुं / तं छउमत्थविसोहि बिति जिणा गुरुसयासम्मि // 322 // छत्तीसगुणसमण्णागएण तेण वि अवस्स कायव्वा / .. परसक्खिया य सोही सुट्ट वि ववहारकुसलेण // 323 // 105