________________ // 12 // // 14 // // 15 // // 16 // // 17 // खइयोदयपरिणामा, तिनि य भावा भवन्ति चरमदुगे / एसि उत्तरभेआ,.भणामि मिच्छाइगुणठाणे .. मिच्छे तह सासाणे, ख़ाओसमिया भवंति दस भेया / दाणाइपणग चक्खु य, अचक्खु अन्नाण तिअगं च मिस्से मिस्सं सम्मं, तिदंस दाणाइपणग नाणतिगं / तुरिए बारस नवरं, मिस्सच्चाएण सम्मत्तं सम्मुत्ता ते बारस, विरइक्खेवेण तेर पंचमए / छढे तह सप्तमए, चउदस मणनाणखेविकए अट्ठमनवमदसमे, विणुसम्मत्तेण होइ तेरसगं / उवसंतखीणमोहे, चरित्तरहिआ य बार भवे अन्नाणाऽसिद्धत्तं लेसाऽसंजम कसाय गइ वेया / मिच्छत्तं मिच्छत्ते, भेया उदयस्स इगवीसं बियए मिच्छत्तविणा ते, वीसं भेया भवंति उदयस्स / तइए तुरिए दसनव, विणुअन्नाणेण णायव्वा देसे सत्तरस नारग-गइ देवगइण अभावओ हुँति / तिरिगइ असंजमाओ-उदए छट्ठस्स न भवंति आइतिलेसाऽभावे, बारसभेया भवंति सत्तमए / तेउपम्हाऽभावे, अट्ठमनवमे य दसभेया / आइमकसायतियगं, वेयतिगविणा भवंति चत्तारि / दसमे उवरिमतियगे, लोभविणा हुति तिन्नेव चरमगुणेऽसिद्धत्तं, मणुआण गई तहा य उदयम्मि / तुरिआओ उवसंतं, उवसमसम्मं भवे पवरं नवमे दसमे संते, उवसमचरणं भवे नराणं च, खाइगभेए भणिमो, इत्तो गुणठाणजीवेसु 81 // 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 //