________________ पू.विजयविमलगणिविरचितम् / // भावप्रकरणम् // आणंदभरिअनयणो, आणंद पाविऊण गुरुवयणे / आणंदविमलसूरि नमिउं, वुच्छामि भावे अ धम्माधम्मागासा, कालो पुग्गलखंधा य कम्म गइ जीवा / .. एएसु अ दारेसु, भणामि भावे अ अणुकमसो . // 2 // मिच्छे सासण मीसे, अविरय देसे पमत्त अपमत्ते। .. निअट्टि अनिअट्टि सुहुमु-वसम खिण सजोगि अजोगिगुणा // 3 // उवसम खइओ मीसो, उदओ परिणाम सन्निवाओ अ। सव्वे जीवट्ठाणे, परिणामुदओ अजीवाणं // 4 // केवलनाणं दंसणं, खइअं सम्मं च चरणं दाणाई / नव खइआलद्धीओ, उवसमिए सम्मचरेणं च नाणा चउ अण्णाणा, तिण्णि य दंसणतिगं च गिहिधम्मो। . वेअग सव्वचारित्तं, दाणाइ य मिस्सगा भावा अन्नाणमसिद्धत्ताऽसंजम लेसा कसाय गइ वेया / मिच्छं तुरिए भव्वा-भव्वत्त जियत्त परिणामे // 7 // आइम चउदारेसु य, भावो परिणामगो य णायव्वो / खंधे परिणामुदओ, पंचविहा हुंति मोहम्मि // 8 // दंसणनाणावरणे, विग्घे विणुवसम हुंति चत्तारि / वेयाउनामगोए, उवसममीसेण रहिआओ चउसु वि गइसु पण पण, खाइअ परिणाम हुँति सिद्धिए / अह जीवेसु अ भावे, भणमि गुणठाणरूवेसु . // 10 // मीसोदयपरिणामा एए भावा भवन्ति पढमतिगे। . अग्गे अट्ठसु पण पण, उवसम विणु हुँति खीणम्मि // 11 // 80