________________ ववहारे पुण ऊणं, न देइ पडिरूवगं नवा कुणइ। जाणइ उवायमूलं, धम्मस्स य तं तहायरइ . // 60 // दाणं सीलं च तवो, भावणमाईहिं सिज्झए धम्मो / दाणाणमभयदाणं, जिणदाणं साहुदाणं च / . // 61 // कुसुमाभरणविलेवण,-सुगंधिधूयाइ होइ जिणदाणं / कारावणं च चेई,-हराण तह ये वरबिंबाणं // 62 // साहूण वसहिदाणं, ओसह-भेसज्ज-वत्थ-पत्ताणं / आहारस्स जहाविहि, दाणं साहूणमुचियस्स // 63 // साहम्मियाण दाणं, अहीणधम्माण तह विसेसेणं / ... दीणाईणणुकंपा,-दाणं धम्मस्सुवाउ त्ति // 64 // सीलं चित्तसमाहाण-मो उ सामाइयाइकरणेण / होइ चउत्थाइ तवो, भावण नेया दुवालसहा . // 65 // अत्थोवाओ पुन्नं, तं पुण सच्चेण ववहरंतस्स / अहवा अइलोभेणं, उद्धारगंमाई नो देइ // 66 // भंडंपि अइमहग्धं, न संगहे कुणइ निययमुल्लाउ / आसकरिगोणमाई, न नियट्ठा धारए मइमं / / 67 // कप्पाससुत्तवत्थाइ,-संगहं कुणइ धन्नमाईणं / / अइपडियविच्चयाण वि, न ते उ संगहणमिच्छन्ति / // 68 // अंगोवरि उद्धारं, निच्छइ अइलाभयं मुणेऊणं / थेवेण वि लाभेणं, बंधेणं अहव रुक्केणं // 69 // पिइ-माइ-भइणि-भाउ य, भावं संवयइ जेण तं कुज्जा / अहवा वि परूवितो, जहट्ठियं पण्णविज्जा उ अहिणवधम्माणं वा जेण विसंवयइ धम्मपरिणामो / न तहा कुज्जा किं पुण, जेण थिरो होइ तं कुणइ // 71 // 7 // 70 //