________________ पाण। एमाइ कुलच्छायग-वयणाणि विरुद्धयाणि विगियाणि / परलोगवाहगाणि उ, न जिणो धम्मो न निव्वाणं // 38 / एमाइवयणपरिवज्जणेण जं विकियवयणपरिहारो।। इह परलोगे य सुहा-वहो त्ति ता तत्थ सो जयए // 39 / नियभूमिगाणुरूवो, वेसो सुस्सावगाण उचिउ ति / नवरि महग्घाभरणो, वि कह सिडिंगागिई होइ // 40 / कुलदेसाण विरुद्धो, वेसो स्त्रो वि कुणइ नो सोहं / वणियाण विसेसेणं, विसेसओ ताण इत्थीणं . // 41 // संतलयं परिहाणं, ज्झलंबचोडाइयं च मज्झिमयं / सुसिलिट्ठमुत्तरीयं, धम्म लच्छिं जसं कुणइ // 42 // परिहाणमणुब्भड, चलणकोडिमज्जायमोसरंतं तु / परिहाणमक्कमंतो, य कंचुओ होइ सुंसिलिट्ठो * // 43 / पच्छायंतं अंगं, सुसिलिटुं उत्तरिज्जमणुरूवं / विकियं तव्विवरीयं, वज्जइ जिणभवणमाईसु . // 44 // लंखस्स व परिहाणं, गसइ व देहं तहंगिया गाढा / सिरवेढो टमरेणं, वेसो एसो सिडिंगाणं // 45 // असिलिट्ठ नीविबंधो, चूडासंफुसइ पायनहरेहं / जंघद्धं उग्घाडं, परिहाणं हवइ वेसाणं // 46 // सिहिणाण मग्गदेसो, उग्घाडो नाहिमंडलं तह य / पासा य अद्धपिहिया, कंचुओ सहइ वेसाणं // 47 // कुंकुमरसपिंजरियं, अंग काऊण गहिय आहरणं / . मंकणयपाउयंगी, कुलवहु कह जाउ जिणभवणे // 48 // तम्हा विलयं वेसं, परिवज्जइ सावओ किमच्छरियं ? / नवरं सुसाविया उ, दुन्नियच्छं वज्जयंतीउ // 49 // 74