________________ सो नज्जइ अन्नाणी, जीवे मारेइ धम्मलोभेण / सागरहुत्तो गच्छइ, भणइ य वच्चामि हिमवंते // 17 // जो मज्जमंससेवी, जीवे मारेइ कहणु सो देवो। .. ता एएहिं विमुक्को, देवो लिंगेहिं नायव्वो .. // 18 // तस्साराहणमेयं, तव्वयणाराहणं ति निच्छयओ। संसारवाहिहरणं, आसवदाराण पडिलोमं // 19 // जह इह सुविज्जवयणा, अपत्थपरिवज्जणेण पत्थासी। पावइ दढदेहत्तं, निरुजो सइ सुक्खआवासं // 20 // इय तव्वयणाओ वि हु, अण्हयपरिवज्जणा सुकडसेवी / निस्सेसकम्ममुक्को, पावइ मुक्खं सयासुक्खं . // 21 // तव्वयणुत्तासेवण-रूवो धम्मों उ सो दुहा भणिओ। जइधम्मो खंताई, अगारिधम्मो इमो होइ .. // 22 // अरहंतुवइट्ठाणं, तत्ताण रुईह होइ सम्मत्तं / तज्जुत्तस्स दुवालस, वयाई एयाइं एयस्स // 23 // जियघायमुसादत्ता,-मेहुनपरिग्गहेसु देसेणं / विरई मूलगुणा सिं, उत्तरगुण हुंति सत्तविहा // 24 // इय सुणिऊणं जाणइ, पुणरुत्तं पुच्छिउं असंदिद्धं / पच्छा इच्छइ काउं, पुव्विं परिकम्मणं कुणइ // 25 // पालेइ जहासुद्धं, अइयारविवज्जियं जहासत्तिं / इय चउभेयं भणियं, पढमं ठाणं गिहत्थाणं // 26 //