________________ // 78 // // 79 // / / 80 // / / 81 // / / 82 // // 83 // मणवायाकायाणं, भेएणं हुंति तिनि जोगा उ / जोगो पुण वावासे, बायालीसासओ एवं . एसि अंतब्भावो, परोप्परं जइ वि होइ उ कहिचि / तह वि विसेसणभेया भेओ सिं भावियव्वो त्ति कम्मस्स बंधहेऊ, इहासवो संवरो य विवरीओ। सो पुण समिइपभिइओ, निद्दिट्टो समयकेऊहिं इरियाभासाएसणआयाणाईसु तह परिटुवणे / सम्मं जा उ पवित्ती, सा समिई पञ्चहा एवं मणगुत्तीमाइयाओ, गुत्तीओ तिण्णि हुंति नायव्वा / अकुसलनिवित्तिरूवा, कुसलपवित्तीसरूवा य खंती य मद्दवज्जवमुत्ती तवसंजमे य बोधव्वे / सच्चं सोयं बंभं, आकिंचणमिइ दसह धम्मो पढममणिच्चमसरणय संसारो एगया य अण्णत्तं / असुइत्तं आसव संवरो य तह निज्जरा नवमा लोगसहावो बोही, य दुल्लहा धम्मसाहओ अरहा / एया उ हुंति बारस, अणुपेहाओ जिणुट्ठिा खुहा पिवासा सीउण्हं, दंसाऽचेलाऽरइथिओ / चरिया निसीहिया सेज्जा, अक्कोसवहजायणा अलाभरोगतणफासा, मलसक्कारपरीसहा / / पण्णा अण्णाणसम्मतं, ईअ बावीसं परीसहा सामइयं छेओवट्ठणं परिहारसुद्धियं चेव / तह सुहुमसंपरायं, अहखायं पंचमं चरणं समिईगुत्ताईया, पंचतियाईहिँ होति भेएहि / इय सत्तवण्णभेओ, उ संवरो होइ नायव्वो 35 // 84 // // 85 // / / 86 // // 87 // // 88 // 89 //