________________ . // 12 // . पयइट्ठिइअणुभागप्पएसभेया चउव्विहो बंधो / मिच्छत्ताई हेऊ, सत्तावन्नं चउरभेया आभिग्गहियं अणभिग्गहियं तह अभिनिवेसियंयेव / .... संसइयमणाभोगं मिच्छत्तं पंचहा होइ .: // 13 // मोक्खो कम्माभावो, संतपयाइहिं नवहिँ दारेहिं / खेत्ताइभेयओ वा, सिद्धाण परूवणं कुज्जा . // 14 // इय एए नवतत्ता, सभेयभिन्ना उ संगहनिमित्तं / गणिणा जिणचंदेणं, सरणत्थं अप्पणो रइया // 15 // . // 1 // पू.आ.श्रीमदभयदेवसूरिविरचितम् // नवतत्त्वभाष्यम्॥ भूयत्था इह अवितह-भावा जीवादओ जिणाभिहिया / सदहणं तु तहरुई, पसमाई पंच लिंगाई / पसमो संवेगो वि य, निव्वेयदया उ तह य अत्थिक्कं / इह पसमो पढमिल्लय-कसायविसओ मुणेयव्वो तत्ताइसु दोसाई-विसयं पसमं भणंति किल एगे। अन्ने उ उवसमं तं, विसयतिसाकोहकंडूणं / गम्मागम्मविवेगं, चिच्चा सव्वत्थ वट्टए जीवो / विसएसु अतित्तप्पा, जीए वसा विसयतिण्हा सा सच्चेयरदोसाणं, सवणा अंतो बहिं च जं फुरणं / / अवियारिऊण कज्जं, तं लिंग कोहकंडूए // 2 // // 3 // // 5 // 8