________________ आवलियविमाणाणं, तु अंतरं णियमसो असंखेज्जं / संखेज्जमसंखेज्जं, भणियं पुप्फावकिण्णाणं // 259 / पढमं उडूविमाणं, पणयालीसं भवे सयसहस्सा / एगं च सयसहस्सं, भणियं सव्वट्ठसिद्धं तु // 260 / तेण परं सेसाणं, पयराणं जे भवे विमाणिंदा / . वित्थारेण असंखाइँ सयसहस्साइँ वित्थिण्णा . // 261 / आवलियाहिँ विमाणा, वित्थारेण भणिया असंखेज्जा / संखेज्जमसंखेज्जा, भणिया पुप्फावकिण्णा उ . // 262 // पुव्वेण उ वेरुलियं, रुयगं पुण दक्खिणे दिसी (सा) भागे। अवरेण असोगं पुण, मसक्कसारं च उत्तरओ // 263 // एवंणामा उ भवे, कप्पविमाणा हवंति विण्णेया। जे दक्खिणेण इंदा, तेसिं खलु होति पत्तेयं // 264 / रुयगे य मंदरे या, अस्सोगे चेव सत्तवण्णे य / पुव्वादिआणुपुव्वी, चउद्दिसिं होंति चत्तारि . // 265 // एवंणामा उ भवे, कप्पविमाणा हवंति विण्णेया। जे उत्तरेण इंदा, तेसिं खलु होति पत्तेयं // 266 // पंच वि कप्पविमाणा, उवरि कप्पाण होति नायव्वा / मज्झिल्ला य विमाणा, कप्पसरिसनामया होंति // 267 // तावत्तीसाण उ कंचणाइँ सामाणियाण सयकता। पत्तेयविमाणा दक्खिणेण कप्पेसु तिसु होति // 268 // सयज्जलेसु समाणा, तावत्तीसा य कंचणपहेसु। . पत्तेयविमाणा उत्तरेसु कप्पेसु दुसु होति // 269 // संधप्पभं च सोमस्स, वरसिटुं जमस्स उ। सयज्जलं वरुणस्स, वग्गु वेसवणस्स उ // 270 // 298