________________ // 848 // // 849 // // 850 // // 851 // // 852 // // 853 // नव भेए भंगतियं बेछावट्ठी उ छव्विहस्स ठिई / चउसमयाओ अंतो अंतमुहुत्ताउ नवछक्के / दसणसनिद्ददंसणउदओ समकं तु होइ जा खीणो / जाव पमत्तो नवण्ह उदओ छसु चउसु जा खीणो चउपण उदओ बंधेसु तिसु वि अबंधगे वि उवसंते / नव संतं अटेवं उइण्णसंताई चउ खीणे खवगे सुहुमम्मि चउबंधगम्मि अबंधगम्मि खीणम्मि / छस्संतं चउरुदओ पंचण्ह वि केइ इच्छंति बन्धो आदुगदसगं उदओ पण चोद्दसं तु जा ठाणं / निच्चुच्चगोत्तकम्माण संतया होन्ति सव्वेसु बन्धइ उइण्णयं चिय इयरं वा दो वि संत चउभंगा। नीएसु तिसु वि पढमो अबंधगे दोण्णि. उच्चुदए तेरसमछट्ठएसुं सायासायाण बंधवुच्छेओ। संतउइण्णाइं पुणो सायासाया सव्वेसु बंधइ उइण्णयं चिय इयरं वा दो वि. संत चउभंगा / संतमुइण्णमबंधे दो दोण्णि दुसंत इइ अट्ठ दुगइगवीसासत्तर तेरस नवपंचचउरतिदुएगो / बंधो इगिदुचउत्थय पण?नवमेसु मोहस्स . हासरइअरइसोगाण बंधगा आनवं दुहा सव्वे / वेयविभज्जता पुण दुगइगवीसा छहा चउहा मिच्छाबन्धिगवीसो सत्तर तेरो नवो कसायाणं / अरईदुगं पमत्ते ठाइ चउक्कं नियट्टिम्मि देसूण पुव्वकोडी नव तेरे सत्तरे य तेत्तीसा / बावीसे भंगतिगं ठिति सेसेसुं मुहुत्तंतो 215 // 854 // // 855 // // 856 // // 857 // // 858 // // 859 //