________________ किट्टीकरणद्धाए तिसु आवलियासु समयहीणासु। न पडिग्गहया दोण्ह वि सट्टाणे उवसमिजंति // 813 / लोभस्स अणुवसंतं किट्टी उदयावली य पुव्वुत्तं / .... बायरगुणेण समगं दोण्ह वि लोभा समुवसंता // 814 / सेसद्धं तणुरागो तावइआ किट्टिओ उ पढमठिई। .. वज्जिय असंखभागं हेढुवरिमुदीरए सेसा // 815 // गेण्हंतो य मुयंतो असंखभागं तु चरिमसमयम्मि / उवसामिय बीयठिई उवसंतं लभइ ग्रुणठाणं अन्तोमुत्तमेत्तं तस्स वि संखेज्जभागतुल्लाओ / गुणसेढी सव्वद्धं तुल्ला य पएसकालेहिं // 817 // करणाय नोवसंतं संकमणोवट्टणं तु दिट्ठितिगं / मोत्तूण विलोमेणं परिवडई जा पमलो त्ति // 818 // ओक्कड्डित्ता दलियं पढमठितिं कुणइ बीयठितिहितो / उदयाइ विसेसूणं आवलिउप्पिं असंखगुणं // 819 // जावइया गुणसेढी उदयवई तासु हीणगं परओ / उदयावलीमकाउं गुणसेढी कुणइं इयराणं // 820 // संकमउदीरणाणं णत्थि विसेसो उ एत्थ पुव्वुत्तो / जं जत्थ उ वोच्छिण्णं जायं वा होइ तं तत्थ - // 821 // वेइज्जमाणसंजलण कालओ अहिअमोहगुणसेढी / पडिवत्ति कसाउदए तुल्ला सेसेहिं कम्मेहिं खवगुवसामगपच्चागयाण दुगुणो तहिं तहिं बन्धो / अणुभागोऽणंतगुणो असुभाण सुभाण विवरीओ // 823 // परिवाडीए पडिउं पमत्तइयरत्तणेण बहुं किच्चा। . देसजइ सम्मो वा सासणभावं च वये कोइ . // 824 // 212