________________ // 789 // // 790 // // 791 // // 792 // // 793 // // 794 // एवं तीसाणं पि हु एक्कपहारेण मोहणीयस्स। तीसगअसंखभागो ठितिबन्धो संतयं च भवे . वीसग असंखभागे मोहं पच्छा उ घाइ तइयस्स / वीसाण तओ घाई असंखभागम्मि बझंति अस्संखसमयबद्धाणुदीरणा होइ तम्मि कालम्मि। - देसे घाइरसं तो मणपज्जवअंतरायाणं' लाभोहीणं पच्छा भोगअचक्खूसुयाण तो चक्खू / परिभोगमईणं तो विरियस्स असेढिगा घाई, संजमघाईण तओ अंतरमुदओ उ जाण दोण्हं तु / वेयकसायण्णयरे सोदयतुल्ला य पढमठिई थीअपुमोदयकाला संखेज्जगुणो उ पुरिसवेयस्स / तस्स वि विसेसअहिओ कोहे तत्तो वि जहकमसो अंतकरणेण समं ठितिखंडगबंधगद्धनिष्फत्ती / अंतरकरणाणंतरसमये जायंति सत्त इमे एगट्ठाणाणुभागो बंधो उद्दीरणा य संखसमा। . अणुपुव्वीसंकमणं लोहस्स असंकमो मोहे बद्धं बद्धं छसु आवलीसु उवरेणुदीरणं एइ / पंडगवेउवसमणा असंखगुणणाए जावंतं अंतरकरणपविट्ठो संखासंखंस मोह इयराणं / बंधादुत्तरबंधो एवं इत्थीए संबंसे उवसंते घाईणं संखेज्जसमा परेण संखंसो / बन्धो सत्तण्हेवं संखेज्जतमम्मि उवसंते नामगोयाण संखा बन्धो वासा असंखिया तइए / ' तो सव्वाण वि संखा तत्तो संखेज्जगुणहाणी . 210 // 795 // // 796 // // 797 // // 798 // // 799 // // 800 //