________________ // 753 // // 754 // // 755 // // 756 // // 757 // // 758 // इगदुग आवलिसेसाए णत्थि पढमा उदीरणागालो / पढमठिईए उदीरण बीयाओ एइ आगालो आवलिमेत्तं उदएण वेइउं ठाइ उवसमद्धाए / उवसमियं तत्थ भवे सम्मत्तं मोक्खबीयं जं उवरिमठिइअणुभागं तिहा तओ कुणइ चरिममिच्छुदए / देसघाएण सम्मं इयरेणं मिच्छमीसाइं सम्मे थोवो मीसे असंखओ तस्स संखओ सम्मे / पइसमयं इइ खेवो अंतमुहुत्ताउ विज्झाओ गुणसंकमेण एसो संकमो होइ सम्ममीसेसु / अंतरकरणम्मि ठिओ कुणइ जओ सप्पसत्थगुणो गुणसंकमेण समगं तिण्णि वि थक्कंति आउवज्जाणं / मिच्छत्तस्स उ इगिदुगआवलिसेसाए पढमाए उवसंतद्धाअंते विहीए उक्कड्डियस्स दलियस्स। अज्झवसाणविसेसा एक्कस्सुदओ भवे तिण्हं / छावलि सेसाए उवसमअद्धाए जाव इगसमयं / असुहपरिणामतो कोइ जाइ इह सासणत्तं पि सम्मत्तेणं समगं सव्वं देसं च कोइ पडिवज्जे / उवसंतदंसणी सो अंतरकरणट्ठिओ जाव वेयगसम्मद्दिट्ठी सोहीअद्धाए अजयमाईआ। . करणदुंगेण उवसमं चरित्तमोहस्स चेटुंति . जाणण गहणणुपालणविरओ विरईई अविरओऽन्नेसु / आइमकरणदुगेणं पडिवज्जइ दोण्हमण्णयरं उदयावलिए उप्पिं गुणसेढिं कुणइ सह चरित्तेण / अंतो असंखगुणणाए तत्तियं वड्डए कालं // 759 // // 760 // // 761 // // 762 // // 763 // // 764 // . 207