________________ उद्धर्तना-अपवर्तनाकरण उदयावलिबज्झाणं ठिईण उव्वट्टणा. उ ठितिविसया / सोक्कोसअबाहाओ जावावलि होइऽइत्थवणा .: // 624 // इच्छियठितिठाणाओ आवलियं लंघिऊण तद्दलियं / . . सव्वेसु विनिक्खिप्पइ ठितिठाणेसुं उवरिमेसु // 625 // आवलिअसंखभागासु जाव कम्मट्ठिति त्ति निक्खेवो / समयोत्तरावलीए साबाहाए भवे ऊणो. // 626 // अब्बाहोवरिठाणगदलं पडुच्चेह परमनिक्खेवो / चरिमुव्वट्टणठाणं पडुच्च इह जायइ जहण्णो // 627 // उक्कोसगठितिबन्धे बन्धावलिया अबाहमेत्तं च / निक्खेवं च जहन्नं मोत्तुं उव्वट्टए सेसं // 628 // निव्वाघाए एवं वाघाओ संतकम्महिगबन्धो / आवलिअसंखभागो जावावलि तत्थऽइत्थवणा // 629 // आवलिदोसंखंसा जति वड्डइ अहिणवो उ ठितिबन्धो / उव्वदृति तो चरिमा एवं जावलिय अइत्थवणा // 630 // अइत्थावणालियाए पुण्णाए वड्डइ तु निक्खेवो / ' ठितिउव्वट्टणमेवं एत्तो ओव्वट्टणं वोच्छं . // 631 // ओवटुंतो य ठिति उदयावलिबाहिरा ठिईठाणा / निक्खिवति से तिभागे समयहिगे लंघिउं सेसं // 632 // उदयावलि उवरित्था एमेवोवट्टए ठितिट्ठाणा / जावावलीयतिभागो समयहिगो सेसठितिणं तु . // 633 // इच्छोवट्टणठिइठाणगाओ उल्लंघिऊण आवलियं / / तद्दलियं निक्खिवई अह ठितिठाणेसु सव्वेसु... // 634 // 16