________________ // 422 // // 423 // // 424 // // 425 // // 426 // // 427 // अभवाणंतगुणाई फड्डाइं अंतरा उ रूवूणा / दोऽणंतरवुड्डीओ परंपरा होंति सव्वाओ पढमा उ अणंतेहिं सरीरठाणं तु होइ फड्डेहिं / तयणंतभागवुड्डी कंडगमेत्ता भवे ठाणा एवं असंखभागुत्तरेण पुण णंतभागवुड्डीए / कंडगमेत्ता ठाणा असंखभागुत्तरं भूया एवं असंखभागुत्तराणि ठाणाणि कंडमेत्ताणि / संखेज्जभागवुटुं पुण अन्नं उट्ठए ठाणं अमुयंतो तह पुव्वुत्तराई एयं पि नेसु जा कंडं / इय एयविहाणेणं छव्विहवुड्डी उ. ठाणेसु अस्संखलोगतुल्ला अणंतगुणरसजुया य इयठाणा / कंडंति एत्थ भन्नइ अंगुलभागो असंखेज्जो होति पओगो जोगो तट्ठाणविवड्डणाए जो उ रसो / परिवड्डेई जीवो पओगफडं तयं बेंति . अविभागवग्गफड्डगअंतरठाणाइं एत्थ जह पुव्विं / ठाणाइ वग्गणाओ अणंतगुणणाए गच्छंति तिण्हं पि फडगाणं, जहण्णउक्कोसगा कमा ठविउं / णेया णंतगुणाओ वग्गा णेहफड्डाओ .. . अणुभागविसेसाओ मूलुत्तरपगइभेयकरणं तु / तुल्लस्सा वि दलस्सा पयईओ गोणनामाओ ठितिबंधो दलस्स ठिई पएसबंधो पएसगहणं जं / ताण रसो अणुभागो तस्समुदाओ पगतिबंधो मूलुत्तरपगईणं पुब्विं दलभागसंभवो वुत्तो / रसभेएणं इत्तो मोहावरणाण निसुणेह 170 // 428 // // 429 // // 430 // // 431 // // 432 // // 433 //