________________ // 327 // // 328 // // 329 // // 330 // // 331 // // 332 // देवो जहन्नयाऊ, दीहुव्वट्टित्तु मिच्छ अन्तम्मि / चउनाणदंसणतिगे, एगिदिगए जहन्नुदयं कुव्वइ ओहिदुगस्स उ देवत्तं संजमाउ संपत्तो / मिच्छुक्कोसुक्कट्टिय, आवलिगंते पएसुदयं वेयणियउच्चसोयंतरायअरईण होइ ओहिसमो / निद्दादुगस्स उदए, उक्कोसठिईउ पडियस्स मइसरिसं वरिसवरं, तिरियगई थावरं च नीयं च / इंदियपज्जत्तीए, पढमे समयम्मि गिद्धितिगे अपुमित्थिसोगपढमिल्लअरइरहियाण मोहपगईणं / अंतरकरणाउ गए, सुरेसु उदयावलीअंते उवसंतो कालगओ, सव्वढे जाइ भगवई सिद्धं / तत्थ न एयाणुदओ, असुभुदए होइ मिच्छस्स . उवसामइत्तु चउहा, अन्तमुहू बंधिऊण बहुकालं / पालिय सम्म पढमाण, आवलीअंतमिच्छगए . इत्थीए संजमभवे, सव्वनिरुद्धम्मि गंतु मिच्छत्तं / देवी लहु जिट्ठठिई, उव्वट्टिय आवलीअंते अप्पद्धाजोगसमज्जियाण आऊण जिट्ठठिइअंते / उवरिं थोवनिसेगे, चिर तिव्वासायवेईणं संजोयणा विजोजिय, जहन्नदेवत्तमंतिममुहुत्ते / . * बंधियः उक्कोस्सठिई, गंतूणेगिदियासन्नी * सव्वलहुं नरयगए नरयगई तम्मि सव्वपज्जत्ते / अणुपुव्वि सगइतुल्ला, ता पुण नेया भवाइम्मि देवगई. ओहिसमा, नवरं उज्जोयवेयगो जाहे / चिरसंजमिणो अंते, आहारे तस्स उदयम्मि 101 // 333 // // 334 // // 335 // // 336 // // 337 // // 338 //