________________ खीणाइतिगे अस्संखगुणियगुणसेढिदलिय जहक्कमसो / ' सम्मत्ताईणेक्कारसण्ह कालो उ संखंसो . ... // 315 // झत्ति गुणाओ पडिए, मिच्छत्तगयम्मि आइमा तिन्नि। .. .. लब्भंति न सेसाओ, जं झीणासुं असुभमरणं . // 316 // उक्कोसपएसुदयं, गुणसेढीसीसगे गुणियकम्मो / . . . सव्वासु कुणइ ओहेण, खवियकम्मो पुण जहन्नं // 317 // सम्मत्तवेयसंजलणयाण खीणंतदुजिणअंताणं / लहु खवणाए अंते, अवहिस्स अणोहिणुक्कोसो // 318 // पढमगुणसेढिसीसे, निद्दापयलाण कुणइ उवसंतो / देवत्तं झत्ति गओ, वेउब्वियसुरदुगस एव // 319 // तिरिएगंतुदयाणं, मिच्छत्तणमीसथीणगिद्धीणं / अपजत्तस्स य जोगे, दुतिगुणसेढीण सीसाणं // 320 // से कालेऽतरकरणं, होही अमरो य अंतमुहुपरओ / उक्कोसपएसुदओ हासाइसु मज्झिमट्ठण्हं // 321 // हस्सठिई बंधित्ता अद्धाजोगाइठिइनिसेगाणं / . उक्कोसपए पढमोदयम्मि सुरनारगाऊणं. // 322 // अद्धाजोगुक्कोसे, बंधित्ता भोगभूमिगेसु लहुं / . सव्वप्पजीवियं वज्जइत्तु ओवट्टिया दोण्हं // 323 // नारयतिरिदुगदुभगाइनीयमणुयाणुपुब्विगाणं तु / दंसणमोहक्खवगो, तइयगसेढीउ पडिभग्गो // 324 // संघयणपंचगस्स उ, बिइयादितिगुणसेढिसीसम्मि / आहारुज्जोयाणं, अपमत्तो आइगुणसीसे // 325 // गुणसेढीए भग्गो, पत्तो बेइंदिपुढविकायत्तं / . आयावस्स उ तव्वेइ, पढमसमयम्मि वढ्तो... // 326 // 170