________________ महुलित्तनिसियकरवालधारजीहाइ जारिसं लिहणं / ' तारिसयं वेयणियं, सुहदुहउप्पायगं मुणह . // 28 // महुआसायणसरिसो, सायावेयस्स होइ हु विवागो। . . . जं असिणा तहि छिज्जइ, सो उ विवागो असायस्स .. // 29 // एयं सुहदुक्खकरं चउगइमावन्नयाण जीवाणं / . सामन्नेणं भणिमो, सुहदुक्खं दुसु दुसु गईसु . // 30 // देवेसु य मणुएसु य, तत्थ विसिढेसु कामभोगेसु / जं उवभुंजइ जीवो, सो उ विवागो उ सायस्स // 31 // नरएसु य तिरिएसु य, तेसु य दुक्खाई.णेगरूवाइं / . जं उवभुंजइ जीवो, सो उ विवागो असायस्स // 32 // एयमिह वेयणीयं, चउत्थकम्मं तु होइ मोहणियं / तं मज्जपाणसरिसं, जह होइ तहा निसामेह .. // 33 // जह मज्जपाणमूढो, लोए पुरिसो परव्वसो होइ / तह मोहेण वि मूढो, जीवो वि परव्वसो होइ . // 34 // मोहेइ मोहणीयं, तं पि समासेण भण्णए दुविहं / दंसणमोहं पढम, चरित्तमोहं भवे बीयं // 35 // दंसणमोहं तिविहं, सम्मं मीसं च तह य मिच्छत्तं / सुद्धं अद्धविसुद्धं, अविसुद्धं तं जहाकमसो // 36 // केवलनाणुवलद्धे, जीवाइपयत्थसद्दहे जेणं / तं संमत्तं कम्मं, सिवसुहसंपत्तिपरिणामं // 37 // रागं न वि जिणधम्मे, न वि दोसं जाइ जस्स उदएणं / सो मीसस्स विवागो, अंतमुहुत्तं भवे कालं. // 38 // जिणधम्मम्मि पओसं, वहइ य हियएण जस्स उदएणं / तं मिच्छत्तं कम्मं, संकिट्ठो तस्स उ विवागो . 114