________________ // 2 // // 3 // किं सा होज्ज कयाइ वि इंदो चंदोऽहवा मणुस्सिंदो। जो तं तेहिं अणूहिं पुणो वि अइदुग्घडं घडिही जह तेहिं चिय अणुएहि सा सभा दुक्करा इह घडेउं / तह जीवाणं विहडिय-मित्तो मणुयत्तणं जाण जह सुद्धधम्मसाला अणेगसम्मत्ततत्तगुणखंभा / विसयकसायमहाणल-जालेहिं जालिया सा वि सा होउं पुण दुलहा नरिंदवंदेहिं पुण्णहीणेहिं / पावेअव्वा दुक्कर-दसदिटुंतेहिं भासिल्ला , // 4 // // 2 // // 3 // // इत्यपि दृष्टान्तोऽस्ति // दिटुंतभावपत्ता दसा वि दिटुंतया अवितहत्था / उवयणगुणसंजुत्ता एए वुत्ता नरभवम्मि ' इय दुल्लहलंभं माणुसत्तणं पाविऊण जो जीवो। न कुणइ पारत्तहियं सो सोयइ संकमणकाले जह वारिमज्झबूडो व्व गयवरो मच्छउ व्व गलगहिओ। वग्गुरपडिउ व्व मओ वाइग्गहिओ जहा मणुओ सो सोयइ मच्चुजरा समच्छओ तुरियनिद्दए खित्तो। नायारमविदंतो कम्मभरपणोल्लिओ जीवो काऊणमणेगाइं जम्मणमरणपरियट्टणसयाई / दुक्खेण माणुसत्तं जह लहइ जहिच्छियं जीवो तं तह दुल्लहलंभं विज्जुलयाचंचलं च मणुअत्तं / लखूण जो पमायइ सो काउरिसो न सप्पुरिसो जिणवरजिणगणिगणहर-हरिचक्किबलाइपुरिसनामाणं / लाहो मणुअगइम्मि तेणं चिय उत्तमा मणुआ // 4 // // 7 // 340