________________ // 10 // एवं दंसणभटुं नरो न पावेइ पुणो वि मणुयत्तं / धण्णयनिदसणेण य दुलहो लाहो तहा जाण इय तइओ दिटुंतो धण्णगणामा मए विणिट्ठिो / नरभवलद्धट्ठाए लिहिओ पवयणसमुद्दाओ सिरिविजयप्पहसूरि-रज्जे सिरिविणयविमलकविराया। सिरिधीरविमलपंडिय-सीसेण णयाइविमलेण // 11 // // 12 // // 1 // // 2 // // 3 // // 4 // // युपकनामा चतुर्थो दृष्टान्तः // अत्थीह वसंतउरं नयरं नामेण धणकणसण्णाहं / पोढपरक्कमकलिओ जियसत्तू तत्थ आसि निवो भज्जा य धारणी से णियरूवविणिज्जियाणिमिसवल्लया। जाओ य तेसिं तणुओ पुरंदरो रज्जभारसहो चउविहबुद्धिसमेओ अइनिम्मलविउलकुलसमुप्पण्णो / आसि अमच्चो सच्चो निच्चं सज्जो निवइकज्जे थंभट्ठसयनिविट्ठा सुसिणिद्धाणेगरूवकलिया य / नरवइणो तस्स सहा अहियसिरिचित्तखोहसहा तत्थेक्केके थंभे अस्सीण सयं समत्थि अट्ठहियं / एयं अस्सीण सहस्सा एगारससहस्सछसयचउसट्ठा एवं कालम्मि गए बहुम्मि रज्जं निसेवमाणस्स। नरवइणो तस्स सुओ अहण्णया चिंतइ कुचित्तो रज्जं जह तह पत्तं सोहणमिइ चिंतिऊण जणवायं / ता थविरं नियपियरं मारिय गेण्हामि रज्जमिणं नाऊण तस्सहाव-मच्चेण निवेइओ तओ रण्णा / आहूओ तेण सुओ भणिओ य कम पडिक्खाहि ... . 311 // 6 // // 7 // // 8 // 311