________________ एयारिसं तं पडहं सुणेत्ता समागया तत्थ बहुमहेब्भा। धणत्थिणो लोहवसा परुप्परं कीलंति अक्खेहिं चणिक्कसिद्धि॥ 38 // पयट्टइ जूयमहं निरग्गलं जिणाइ णो को वि अमच्चदक्खं / माणाइगालच्छि समज्जिया तहिं अक्खप्पसाएण य कित्तिजुत्ता // 39 // सव्वेहिं लोएहिं विजेउं दुक्करो अक्खेहिं दक्खेहिं जहा चणिक्को / सम्मत्तजुत्ते मणुयत्तलंभे तहा नराणं खु भवण्णवम्मि // 40 // देवप्पसाएण य को वि दक्खो जिणाइ जूए मणुओ चणिक्कं / परं नराणं जिणधम्मजुत्तं नरत्तलंभे य न दंसणं तहा // 41 // कम्मपरिणामराया तब्भज्जा कालपरिणइणामा / मोहस्स बंधु जेट्ठो लोयट्ठिइ भयणीए लहुओ // 42 // जह चणिक्को मंती दंसंणमंती तहा मुणेयव्वो। . कम्मपरिणामनरवइ-पासे मग्गेइ भविजीवो // 43 // उवमिइभवप्पवंच-गाथाओ तप्पवित्ति णेयव्वा / तह चंदगुत्तु व्व जीवं दंसणसचिवो य मग्गेइ // 44 // सिक्खाविया समग्गा विण्णाणकला तहा हु भव्वस्स / चारित्तधम्मनरवइ-सहायकज्जे तहा जाओ // 45 // पव्वयनिवुव्वुरालिय-तणुप्पवंचं सहायमासज्ज / दसणमंतिबलेण य नंदु व्व हणिज्ज मिच्छत्तं // 46 // जह पाडलिपुररज्जं चरित्तधम्मं तहा य निखज्ज / सम्मत्तमप्पमत्तयसुणिम्मिया पासया तत्थ // 47 // अक्खेहिं तेहिं लोओ विणिज्जिओ सव्वओ विभवजूए / दसणनाणगुणुक्कररयणेहिं पूरिओ कोसो // 48 // विक्खायकित्तीपसरो संजाओ रज्जकज्जसाहीणो। एवं चिय मणुयत्ते उवणयसंजोयणा जाण // 49 // 300