________________ // 151 // // 152 // // 153 // // 154 // // 155 // // 156 // करुणाए वयरसामी जं उज्झिय उत्तमट्ठमल्लीणो। आराहियं लहुं तेण खुड्डएणावि संतेण / तस्स य सरीरपूयं जं कासी रहेहि लोगपाला उ। तेण रहावत्तगिरी अज्ज वि सो विस्सुओ जाओ। सोपारयम्मि नयरम्मि वयरसाहा विणिग्गया जत्तो। सिरिवयरसामिसीसं तं वंदे वयरसेणरिसिं नाऊण गहणधारणहाणि चउहा पिही कओ जेणं / अणुओगो तं देविंदवंदियं रक्खियं वंदे निप्फावकुडसमाणो जेण कओ अज्जरक्खिओ सूरि। सुत्तत्थतदुभयविऊ तं वंदे पूसमित्तगणि गहियनवपुव्वसारो दुब्बलियापूसमित्तगणिवसहो / विंझो अवंझपाढो न खोहिओ परपवाएहिं दुब्भिक्खम्मि पणद्वे पुणरवि मेलित्तु समणसंघाओ। महुराए अणुओगो पवत्तिओ खंदिलेण तयार सुत्तत्थरयणभरिए खमदममद्दवगुणेहि संपन्ने / देवड्डिखमासमणे कासवगुत्ते पणिवयामि फग्गुसिरिसमणिनाइलसावयसच्चसिरिसावियाथुणियं / ओस्सप्पिणीइ चरिमं वंदे दुप्पसहमुणिवसहं एए अन्ने वि रिसी तीए इस्से य वट्टमाणे य / भरहेरवयविदेहे पणमामि सया वि तिविहेण अज्जाओ बंभि-सुंदरि-राइमइ-चंदणापमुक्खाओ। कालत्तए वि जाओ ताओ वि नमामि भावेणं जो पढइ गुणइ निसुणइ इणमो गुणसंथवं महरिसीणं / सिरिधम्मघोसमणहं काउं सो लहइ सिद्धिसुहं 293 // 157 // // 158 // // 159 // // 160 // . // 161 // // 162 //