________________ // प्र० 18 // . // प्र० 19 // // 58 // // 59 // . // 60 // // 61 // जेण कयं सामन्नं छम्मासे झाण-संजमरएणं / . तं मुणिमुदारकित्तिं गोभद्दरिसिं नमसामि वारत्तपुरे जायं सोहम्मवडिंसया चइत्ताणं / सिद्धि विहुयरयमलं वारत्तरिसिं नमसामि छट्टेणं छम्मासे सहित्तु अक्कोसतालणाईणि / अज्जुणमालागारो खवित्तु परिणिव्वुओ कम्मे माहणमहिलं सपइं सगब्ममवि छित्तु पत्तवेरग्गो / घोरागारं च तवं काउं सिद्धो दढप्पहारी , जाइसरं राजसुयं खंतिजुयं कूरगड्डुयं वंदे। . चउरो वि तहा खवगे पंच वि सिवमयलमणुपत्ते कोडिन्न-दिन-सेवालनामए पंचपंचसयकलिए। पडिबुद्धे गोयमदंसणेण पणमामि सिद्धे य' एगस्स खीरभोयणहेऊ नाणुप्पया मुणेयव्वा / बीयस्स य परिसाए दिट्ठाए जिणम्मि तइयस्स . विप्परिवडियविभंगो संबुद्धो वीरनाहवयणेणं। . सिवरायरिसी एक्कारसंगवी जयउ सिद्धिगओ चउसट्ठिकरिसहस्सा चउसट्ठिसअट्ठदंतअट्ठसिरा / दंते य एगमेगे पुक्खरिणीओ य अट्ठ अट्ठ लक्खपत्ताई तासु पउमाई हुंति पत्तेयं / पत्ते पत्ते बत्तीसबद्धनाडयविही दिव्वो एगेग कण्णियाए पासायवडिसओ य पइपउमं / अग्गमहिसीहि सद्धिं उवगिज्जते तहिं सक्के एयारिसइड्डीए विलग्गमेरावणम्मि दट्ट हरिं / राया दसन्नभद्दो निक्खंतो पुण्णसपइण्णो 282 // 62 // // 63 // // 64 // // 65 // // 66 // __ // 67 //