________________ // 440 // एसु वि जिणेहिँ जयणा, उवइट्ठाऽणत्थवारणनिमित्तं / कायव्वेसा विहिणा, इमेण सिद्धंतभणिएण // 436 // वायनिसग्गु-ड्डोए, जयणा सदस्स नेव य निरोहो / उड्डोए वा हत्थो, भमली-मुच्छासु य निवेसो // 437. // एसा चउत्थविरई, पंचमिए तिन्नि होति आलावा / ते पुण बहुवयणंता, नेया सुहुमेहि इच्चाइ // 438 // अंगाईसंचाला, लक्खालक्ख त्ति हुंति तो सुहुमा / वीरियसजोगयाए, बाहिं अंतो य ते हुंति // 439 // वीरियसजोग़याए, संचारा सुहुमबायरा देहे / बाहिं रोमंचाई, अंतो खेलाऽनिलाईया आलोयचलं चक्खुं, मणो व्व तं दुक्कर थिरं काउं / रूवेहिं तयं खिप्पइ, सहावओ वा सयं चलइ // 441 // न कुणइ निमेसजत्तं (जुत्तं), तत्थुवओगेण झाण झाएज्जा / एगनिसं(सिं) तु पवन्नो, ज्झायइ साहू अणिमिसच्छो वि // 442 // एएसिं सव्वेसि, अन्नत्थ ममेस. होउ उस्सग्गो / न य नाम एत्तिएहिं, अनेहि वि एवमाईहिं // 443 // आगारेहि अभग्गो, होज्जा अविराहिओ ममुस्सग्गो / तत्थेए आगारा, आईसदेण संगहिया . // 444 // अगणीउ व छिदेज्ज व, बोहियखोभाइ दीहडक्को वा / आगारेहिँ अभग्गो, उस्सग्गो एवमाईहिं // 445 // अगणि त्ति पलीवणयं, उच्छिंदेज्ज व विराल-पुरिसाइं / बोहिय चोरविसेसा, तेसिं खोभे पलायणया // 446 // दीहो त्ति दीहपट्ठो, भुयंगमो तेण होज्ज जइ डक्को / तो तस्स पडीयारं, कारेज्ज करेज्ज वा जइ वि // 447 //