________________ भन्नइ-किरियाकालो, निट्ठाकालो य हुंति सिय भिन्ना / किरियादुगेण इमिणा, निदंसिया एस भावत्थो . // 424 // अकए काउस्सग्गे, निट्ठाकालो ति किं इमं जुत्तं? / .... भन्नइ-आसन्नत्तेण कज्जमाणं कडं जम्हा // 425 // कायस्स परिच्चाओ, सव्वपयत्तेण कीरमाणो वि। . अइदुनिवारवावारभावओ होइ न हु सुद्धो // 426 // तम्हा तस्सऽववाया, आगारा जिणवरेहि पन्नत्ता / अन्नत्थूससिएणं, इच्चाइपएहिँ नवहिं तु - // 427 // एत्थ य तइय विभत्ती, इट्टव्वा पंचमीएँ अत्थम्मि / अन्नत्थ त्ति पयं पुण, पत्तेयं चेव जोएज्जा // 428 // अन्नत्थूससियाओ, नीससियाओ स एस उस्सगो। ... एवं सव्वपएसु वि, नवरमिमो एत्थ भावत्थो // 429 // सासस्स उड्डगमणं, ऊससियमहोगई उ निस्ससियं / एयं दुगं पि मोत्तुं उस्सग्गो एस मे होउ // 430 // ऊसासं न निरंभइ, आभिग्गहिओ वि किमुय चेट्ठा छ। सज्ज मरणं निरोहे, सुहुमुस्सासं तु जयणाए // 431 // एवं च खासियाओ, छीयाओ जंभियाओ अन्नत्थ / नवरं इमेसु जयणा, कायव्वा होइ एवं तु // 432 // खास-खुय-जिंभिए मा, हु सत्थमनिलोऽनिलस्स तिव्वुण्हो / असमाही य निरोहे, मा मसगाई य तो हत्थो // 433 // खासियमाई पयडा, ऊडइयं वायनिग्गमुग्गारो / वायनिसग्गो पवणस्स निग्गमो जो अवाणेण // 434 // भमली पित्तुदयाओ, भमंतमहिदंसणं निवडणं च। . एवं तु पित्तमुच्छा, वि वेयणत्तं भमणरहियं . // 435 //