________________ नंदीकरणे जिणपायपूयणं जं सुयम्मि उवइटुं / जिणबिंबाण पइट्ठा वि सूरिणा सूरिमंतेण . // 412 // तम्हा नेगंतेणं, सावज्जो एस वज्जणिज्जो वा। एयं पुण विनेयं, एयालावगदुगाओ वि // 413 // जं पुण सुत्ते भणियं, दव्वत्थए सो विरुज्झइ कसिणो / तव्विसयारंभपसंगदोसविणिवारणत्थं तं // 414 // दव्वत्थयाणुविद्धो, भणिओ भावत्थओ अओ चेव / गंथंतरेसु एवं, नेयव्वं निउणबुद्धीहिं // 415 // छव्विहनिमित्तमुत्तं, एत्तो भन्नति हेउणो पंच। सद्धाए मेहाए, इच्चाईसत्तहिँ पएहिं // 416 // सद्धा निओऽभिलासो, पराणुरोहाभिओगपरिमुक्को / तीए उ वड्डमाणीऍ ठामि उस्सग्गमिय जोगो // 417 // एवं चिय मेहाए, मज्जायाए जिणोवइट्टाए। . अहवा मेहा पना, तीए न उ सुनभावेण . // 418 // चित्तसमाही धीई, तयन्नचिंताविउत्तमणवित्ती / धरणं तित्थयरगुणाण नियमणे धारणा वुत्ता // 419 // अणुपेहा मंगलगस्स चिंतणं गुणगणाण वा भणिया / एयाहिँ वड्डमाणीहिँ ठामि उस्सग्गमिति सुगमं // 420 // एयासि निद्देसो, एवं लाभक्कमेण विनेओ / सद्धाभावे मेहा, तब्भावे धिति उ इच्चाई // 421 // कारणरहियं कज्ज, घडाइयं जह न सिज्झइ कयाइ। एवं एयाहिँ विणा, काउस्सग्गस्स न हु सिद्धी // 420 // आह-'करेमि' भणित्ता पुणो वि 'ठामि' त्ति एत्थ किं भणियं? / नहि अत्थ कोइ भेओ, किरियाजुयलस्स एयस्स // 423 // 87