________________ पेच्च जिणधम्मलाभो, बोहिलाभु त्ति तं पि हु किमत्थं / मग्गेह ? निरुवसग्गो मोक्खो तप्पावणनिमित्तं // 400 // पुच्छइ सीसो - जइ ता, पूयाइनिमित्तमेस उस्सग्गो / .. . कीरइ ता तेसि चिय, करणं जुत्तं सुबुद्धीणं // 401 // रंजिज्जइ मुद्धजणो, कज्जाकारीहिँ महुरवयणेहिं / सव्वन्नुवीयरागे, कज्जपहाणेहि होतंव्वं // 402 // पडिभणइ गुरू-सुंदर !, दुविहा वंदणविहाइणो पुरिसा। निग्गंथा य गिहत्था, तत्थ गिहत्था जहासत्ति // 403 // . नियमा कुणंति पूर्य, सक्कारं वा जिणेंदचंदाणं / जं च न तरंति काउं, तस्स कए होति उस्सग्गं // 404 // समणा महाणुभावा, समग्गसावज्जजोगपडिविरया / .. सुहपणिहाणनिमित्तं, पढंति आलावगे एए // 405 // निग्गंथाण न अत्थो, अत्थाभावे न पूय-सक्कारा / तप्फललाभनिमित्तं, करेंति तो वंदणुस्सग्गं // 406 // नणु पूआसक्कारा, नियमा दव्वत्थओ मुणिजणस्स / / तप्पणिहाणमजुत्तं, तहाहि पयर्ड इमं सुत्तं // 407 // छज्जीवकायसंजमो, दव्वत्थए सो विरुज्झई कसिणो। तो कसिणसंजमविऊ, पुष्फाईयं न इच्छंति // 408 // संजमविरुद्धकिच्चे, पणिहाणं नेव जुज्जए काउं / चिंतिज्जियसावज्जो, पणिहाणं कुणइ आरंभे // 409 // भन्नइ गुरुणा-भद्दय ! नेगंतेणेस संजमविरुद्धो / दव्वट्ठो दव्वत्थओ, नयढे उ तिविहतिविहेण // 410 // पूयाफलपरिकहणं, पमोयणा चोयणा मुणिवरेहिं / अणुमोयणं पि कीरइ, पमोय-उववूहणाइहिं . // 411 // 87