________________ अभिमुहं हया अभिहया, गाढकंता य वत्तिया नेया / अन्नोनं लिंगणयं, कारिया आलेसिया हुंति // 376 // संघाइया य पुंजीकय त्ति संघट्टिया व संपुट्ठा / परिआविया य ईसिं, कयपीडा बहु किलामियया // 377 // उद्दविया कयमुच्छा, ठाणा ठाणंतरं च संग(क)मिया / पाणेहि विप्पमुक्का, जीवा ववरोविया भणिया // 378 // . तस्स य मिच्छा मि दुक्कडं ति आलावएण अट्ठमिया / एयाए पुण अत्थो, एसो भणिओ मुर्णिदेहिं // 379 // . 'मि' त्ति मिउमद्दवत्ते, 'छत्ति य दोसाण छायणे होइ / 'मि' त्ति य मेराइ ठिओ, 'दु' त्ति दुगुंछामि अप्पाणं // 380 // 'क' त्ति कडं मे पावं, 'ड' त्ति य डेवेमि तं उवसमेण / एसो मिच्छा -मि-दु-क-ड पयक्खरत्थो समासेण // 381 // इरियावहियासुत्तं, एत्तियमेत्तं अओ परं सेसं / उम्मग्गकरणसुत्तं तस्स य एयारिसो अत्थो तेसि गमणागमाईसमत्थपावाण घायणणिमित्तं / उस्सग्गं ठामि अहं, उत्तरकरणाइहेऊहि / // 383 // खंडियविरहियाणं मूलगुणाणं सउत्तरगुणाणं / उत्तरकरणं कीरइ, जह सगड-रहंग-गेहाणं // 384 // पावं छिदइ जम्हा, पायच्छित्तं तु भन्नइ तम्हा / पाएण वा वि चित्तं, सोहयइ तेण पच्छित्तं // 385 // दव्वविसोही वत्थाइयाण खाराइदव्वसंजोगा / भावविसोही जीवस्स निंद-गरहाइकरणाओ // 386 // कंटाइसल्लरहिओ, दव्वविसल्लो इहं सुही होइ / अइयारसल्लरहिओ, भावविसल्लो इह परत्थ // 387 // 84