________________ एगो एसालावो, बीओ सिवमयलमाइओ एत्थ / / तइओ नमो जिणाणं, जियब्भयाणं तु नायव्वो // 352 // सिवमुवसग्गविउत्तं, सिद्धसरूवं पयं च सिद्धाणं / . . . साहाविय-पाओगियचलणाभावाओ तं अचलं . // 353 // अरुयं रोगाभावा, अणंतनाणोवओगओऽणतं / नासनिमित्ताभावा, नायव्वं अक्खयं तं तु // 354 // अव्वाबाहं भणियं, वाबाहाकारिकम्मविरहाओ / देह-मणोगयबाहाविरहियमाहारहीणत्ता, ' // 355. // नावत्तइ नागच्छइ, पुणो भवे तेण अपुणरावित्ति / संसारहेउकम्माऽभावेण जओ इमं भणियं // 356 // दड्डम्मि जहा बीए, न होइ पुणरंकुरस्स उप्पत्ती / तह कम्मबीयनासे, पुणब्भवो नत्थि सिद्धाणं // 357 // सिझंति तत्थ जीवा, गम्मइ जीवेहि तेण सिद्धिगई / तं चेव नामधेयं, अभिहाणं तस्स ठाणस्स // 358 // तं सम्म पत्ताणं, कम्मखएणं ति एत्थ भावत्थो / इहरा वि जंति जम्हा, सुहुमा एगिदिया तत्थ // 359 // तइयपयं पयडत्थं, नमो जिणाणं जियब्भयाणं ति। निगमणवयणं एयं, पुणरुत्तं नेव मंतव्वं // 360 // एत्थं पुण बहुवयणं, पुरिसेगंतप्पवायनिम्महणं / / सव्वेसि पि जिणाणं, समगुणयाभावणनिमित्तं // 361 // विसयबहुत्ते किरिया, भावुल्लासाओं बहुफला होइ / पणिवायदंडगोवरि, भन्नइ तम्हा इमा गाहा // 362 // एयाए भावत्थं, सुगमं सम्मं मणम्मि भावेंतो। . मण-वयण-कायसारं, करेज्ज पंचंगपणिवायं . // 363 //