________________ // 340 // // 341 // // 342 // // 343 // // 344 // // 345 // धम्मवरचाउरंताइचक्कवट्टीणमेस खलु अत्थो / इह चाउरंतसद्दो, भारहवासम्मि नायव्वो उत्तरओ हिमवंतो, पुव्वावरदाहिणा तओ अंता / लवणसमुदं पत्ता, तो भरहं चाउरंतमिणं एयस्सय भरहाई, अहिवइणो चक्कवट्टिणो हुँति / धम्मवरचाउरते, तित्थयरा चक्कवट्टिसमा अहवा चउदिसिधारं, चउरंतं चक्कमेव निद्दिटुं / / दाण-तव-सील-भावणचउधारं धम्मचक्कमिणं चउगइअंतकरं ता, धम्मो वि हु चाउरंतचक्कसमो / वटुंति तेण वरधम्मचक्कवट्टी जिणा तम्हा अप्पडिहयमक्खलियं, वरं पहाणं ति खाइगत्तेण / / केवलियनाण-दंसणधराण एसो मम पणामो - विणियर्से ति पण, छउमं चउघाइकम्मरूवं तु / जेसि तेसि नमो मे, सत्तमिया संपया दुपया नणु अट्ठ वि कम्माइं, जिणाण नट्ठाइँ कि चउक्केण ? सच्चं ओसरणत्थे, पडुच्च छउमक्खओ भणिओ रागद्दोसजयाओ, होति जिणा जावया य अन्नेसिं / तिन्ना य भवसमुदं, अन्नेसिं तारया य जिणा बुद्धा अवगयतत्ता, अन्नेसिं बोहया य भगवंता / कम्मट्ठबंधणाओ, मुक्का तह मोयगा चेव एसा चउपयमाणा, अट्ठमिया संपया उ वक्खाया / नवमी तिपयपमाणा, सा सव्वन्नूणमिच्चाइ तत्थ जिणा भगवंतो, सव्वं जाणंति तेण सव्वन्नू / पासंति तेण सव्वं, तो सव्वइंसिणो हुंति // 346 // // 347 // // 348 // // 349 // // 350 // // 351 //