________________ मोहंधो जंतुगणो, निम्मलसुयणाणचक्खुदाणेण / फुडदंसी जेहि कओ, चक्खुदयाणं नमो ताणं . // 328 // अणुवकयपराणुग्गहपरेहि निव्वाणवरपुरीमग्गो।। भवरने जेहि कओ, ते मग्गदया जओ सुत्तं // 329 // सम्मइंसणदिट्ठो, नाणेण य तेहि सुटु उवलद्धो / चरण-करणेहि पहओ, नेव्वाणपहो जिणंदेहिं // 330 // भवभीयाण जियाणं, सरणागयवच्छला जओ ताणं / होति जिणेंदा नियमा, सरणदया तेण बुच्चंति // 331 // बोही जिणेहि भणिया, भवंतरे सुद्धधम्मसंपत्ती / जिणसंथवेण लब्भइ, बोहिदया तेण वुच्चंति // 332 // अह छट्ठसंपयाए, धम्माईयाणि पंच उ पयाणि / धम्मो चरित्तधम्मो, किरियापरिणामरूवो सो // 333 // दुविहो वि हु संपज्जइ, जम्हा जिणचलणसेवणरयाणं / गिज्जंति जाणएहिं, तम्हा ते तस्स दायारो // 334 // परहियकरणेक्करया, जहजोगं उवइसंति जं धम्मं / / तो धम्मदेसया ते, तेसि चिय मे नमो होउ // 335 // सो पुण होइ विसिट्ठो, तेसिं आणाइ वट्टमाणाणं / धम्मस्स नायगाणं, तत्तो तेसि मम पणामो // 336 // जह सारही सुकुसलो, तहा तहा खेडए रह-तुरंगे / जह नो होइ अवाओ, तुरंगमाणं रहस्सावि // 337 // एवं जिणुत्तमेहि, वि उस्सग्ग - ऽववायपमुहजुत्तीहिं / . एगंतहिओ धम्मो, उवइट्ठो धम्म-धम्मीणं // 338 // इह धम्मो होइ रहो, तुरंगमा तस्स धारगा पुरिसा / . उभयहियमुवइसंता, जिणनाहा धम्मसारहिणो . // 339 // 80