________________ लोगाईया पंच उ, आलावा संपया चउत्थी उ / ' तेसि पुण. लोगसद्दो, जहजोगमणेगहा नेओ // 316 // लोगस्स भव्वलोगस्स उत्तमाऽऽसन्नसिद्धिगामित्ता / लोगोत्तम त्ति तेसिं, तह चेव य लोगनाहाणं // 317 // एत्थं पि लोगसद्दो, बीयाहाणाइउचियभव्वेसु / ते नाहा तस्स जओ, जोगक्खेमंकरा नाहा // 318 // जोगो असंतदाणं, संतस्स उ पालणा भवे खेमं / बीयाहाणाइगुणे, देंति पालेंति य जिणिंदा // 319 // पंचत्थिकायमइयं, लोगं वरकेवलेण जाणेत्ता / अवितहमेव जणाणं, परूवयंति त्ति लोगहिया // 320 // लोगो व जीवलोगो, सओ य परओ य अवायरक्खणओ / तस्सेगंतेण हिया, लोगहिया जिणवरा तेण // 321 // तह ते लोगपईवा, जम्हा सन्निहियसव्वसत्ताणं / दीवेंति पईवा इव, जीवाइपयत्थवत्थुगणं // 322 // अहवा संसयतामसमसेसमासनसनिलोगस्स / अवणेति मणगिहाओ, लोगपईवा तओ हुति // 323 // लोगो वि सुद्धबुद्धी, सम्मद्दिट्टी विसेसओ तस्स / अइसुहुमे वि पयत्थे, पज्जोयंता सुजुत्तीहिं // 324 // लोय(ए) पज्जोयगरा, सूरा इव हुँति तेण तित्थयरा / संखेत्तविचित्तत्था, विनेया. संपया एसा // 325 // अभयाइपयत्थाणं, दायारो संपया य पंचमिया / पंचहिँ पएहिँ भणिया, अभयाइसरूवमेयं तु // 326 // तिविहतिविहेण वहकरणविरईओ जेहिँ सव्वकालं पि / दिनमभयं जिणाणं, अभयदयाणं नमो ताणं // 327 //