________________ थुइदंडाईवन्ना, उच्चरियव्वा फुडा सुपरिसुद्धा / .. सर-वंजणाइभिन्ना, सपयच्छेया उचियघोसा // 232 // चिंतेयव्वो सम्मं, तेसिं अत्थो जहापरिनाणं / सुन्नहिययत्तमिहरा, उत्तमफलसाहगं न भवे // 233 // भावारिहंतपमुहं, सरेज्ज आलंबणं पि दंडेसु / . अहवा जिणबिंबाई, जस्स पुरो वंदणाऽऽरद्धा // 234 // . कयपंचंगपणामो, साणंदो वंदणे पयट्टतो / धारेज्ज धौरचित्तो, मुद्दाओ तिन्नि जं भणियं // 235 // पंचंगो पणिवाओ, थुइपाढो होइ जोगमुद्दाए। .... वंदण जिणमुद्दाए, पणिहाणं मुत्तसुत्तीए // 236 // दो जाणू दोन्नि करा, पंचमयं होइ उत्तमंगं तु / सम्मं संपणिवाओ, नेओ पंचंगपणिवाओ // 237 // अन्नोन्नतरियंगुलिकोसागरेहिँ दोहिं हत्थेहिं / पिट्टोवरि कुप्परसंठिएहि तह जोगमुद्द त्ति // 238 // चत्तारि अंगुलाई, पुरओ ऊणाई जत्थ पच्छिमओ। पायाणं उस्सग्गो, एसा पुणा होइ जिणमुद्दा. // 239 // मुत्तासुत्ती मुद्दा, समा जहिँ दो वि गब्भिया हत्था / ते पुण णिडालदेसे, लग्गा अन्ने अलग्ग त्ति // 240 // वन्नाइसु उवओगो, जुगवं कह घडइ एगसमयम्मि / दो उवओगा समए, केवलिणो वि हु न जं इट्टा // 241 / / कमसो वि संभवंता, जुगवं नजंति ते वि भिन्ना वि / .. चित्तस्स सिग्घकारित्तणेण एगत्तभावाओ // 242 // सव्वत्थ वि पणिहाणं, तग्गयकिरिया-भिहाण-वनेसु / अत्थे विसए य तहा, दिटुंतो छित्रजालाए // 243 // 92