________________ अन्ना वि तिहा पूया, भणिया सत्थंतरेसु सड्डाणं / पूयासोलसए जं, भणियमिणं पुव्वसूरीहिं // 208 // पंचोवयारजुत्ता, पूया अट्ठोवयारकलिया य / इड्डिविसेसेण पुणो, भणिया सव्वोवयारा वि // 209 // तहियं पंचुवयारा, कुसुम-ऽक्खय-गंध-धूव-दीवेहिं / फल-जल-नेवज्जेहिं, सहऽगुरूवा भवे सा उ // 210 / / . अन्ने अट्टवयारं, भणंति अटुंगमेव पणिवायं / सो पुण सुए न दीसइ, न य आइन्नो जिणमयम्मि // 211 // सव्वोवयारजुत्ता, ण्हाण-ऽच्चण-नट्ट-गीयमाईहिं / ... पव्वाइएसु कीरइ, निच्चं वा इड्डिमंतेहिं // 212 // विग्धोवसामिगेगा, अब्भुदयपसाहणी भवे बीया / नेव्वाणसाहणी तह, फलया उ जहत्थनामेहिं // 213 // पवरं पुष्फाईयं, पढमाए ढोयए उ तकारी / आणेइ अन्नओ वि हु, निओगओ बीयपूजाए . // 214 // भूवणे वि सुंदरं जं, वत्था-ऽऽहरणाइवत्थु संभवइ / तं मणसा संपाडइ, जिणम्मि एगग्गथिरचित्तो // 214 // निच्चं चिय संपुन्ना, जइ वि हु एसा न तीरए काउं / / तह वि अणुचिट्ठिअव्वा, अक्खइ-दिवाइदाणेण // 216 // भावेज्ज अवत्थतियं, पिंडत्थ-पयत्थ-रूवरहियत्तं / छउमत्थ-केवलित्तं, मुत्तत्तं चेव तस्सत्थो // 217 // उभयकरधरियकलसा, गयगयसुरवइपुरस्सरा तियसा / . गायंता वायंता, उवरि जिणेदस्स निम्मविया // 218 // ठावंति मणे नूणं, संपइ अम्हारिसस्स लोयस्सं। जम्मणसमयपयट्ट, मज्जणमहिमासमारंभं // 219 //