________________ अह पुव्वं चिय केणइ, हवेज्ज पूया कया सुविभवेण / तं पि सविसेससोहं, जह होइ तहा तहा कुज्जा // 196 // उचियत्तं पूआए, बिसेसकरणं तु मूलबिंबस्स / जं पडइ तत्थ पढम, जणस्स दिट्ठी सह मणेण // 197 // कयकिच्चाण जिणाणं, पूआ भवियाण भावजणणत्थं / सो पुण होइ विसिट्टे, पलोइए मूलबिंबम्मि // 198 // अंगम्मि पढमपूया, आमिसपूआ तओ भवे बीया / तइया थुइ-थोत्तगगय, तासि सरूवं इमं होइ // 199 // वत्था-ऽऽहरण-विलेवणसुगंधिगंधेहिँ धूव-पुप्फेहिं / कीरइ जिणंगपूआ, तत्थ विही एस नायव्वो // 200 // वत्थेण बंधिऊणं, नासं अहवा जहा समाहीण / वज्जेयव्वं ति तया, देहम्मि वि कंडुयणमाई // 201 // घय-दुद्ध-दहिय-गंधोदयाइण्हाणं पभावणाजणगं / सई गीइ-वाइयाईसंजोगे कुणइ पव्वेसु . // 202 // एमाइ अंगपूया, कायव्वा नियमओ ससत्तीए / सामस्थाभावम्मि उ, धरेज्ज तक्करणपरिणामं // 203 // जो पंचवन्नसत्थिय-बहुविहफल-भक्ख-दीवदाणाई / उवहारो जिणपुरओ, कीरइ सा आमिससवज्जा // 204 // गंधव्वनट्ट-वाइय-लवणजला-ऽऽरत्तियाइ जं किच्चं / आमिसपूषाए च्चिय, सव्वं पि. तयं समोयरइ // 205 // . पूयादुर्ग पि एयं, उचियं न हु साहु-साहुणिजणस्स / सावयजणस्स नियमा, उचियं सामग्गिसब्भावे // 206 // थुइपूआ विन्नेया, वंदणकरणोचियम्मि देसम्मि / ठाऊण जिणाभिमुहं, पढणं जहसत्ति वित्ताणं // 207 //