________________ // 76 // // 77 // // 78 // // 79 // // 80 // // 81 // जइ ता ससरीराण वि, पडिबिंबं नेव दूसए उदयं / असरीराण जिणाणं, बिंबे काऽऽसायणासंका ? जं पुण असरीराणं, अंगोवंगाइसंगा मुत्ती / तत्थ वि निमित्तमेयं, उवइटुं पुव्वसूरीहिं अरहंता भगवंता, असरीरा निम्मला सिवं पत्ता / / तेसि संभरणत्थं, पडिमाओ एत्थ कीरंति उद्धट्ठाणठियाओ, अहवा परियंकसंठिआ ताओ / मुत्तिगयाणं तासि, जं तइयं नत्थि संठाणं उसभो अरिटुनेमी, वीरो पलियंकसंठिया सिद्धा / अवसेसा तित्थयरा, उद्धट्ठाणेण उवयंति जं संठाणं तु इहं, भवं चयंतस्स चरिमसमयम्मि / आसी य पएसघणं, तं संठाणं तर्हि तस्स मुत्तिपयसंठियाण वि, परिवारो पाडिहेरपामोक्खो। पडिमाण निम्मविज्जइ, अवत्थतियभावणनिमित्तं जं पुण भणंति केई, ओसरणजिणस्स रूवमेयं तु / जणववहारो एसो, परमत्थो एरिसो एत्थं सिंहासणे निसन्नो, पाए ठविऊण पायपीढम्मि / करधरियजोगमुद्दो, जिणमाहो देसणं कुणइ तेणं चिय सूरिवरा, कुणंति वक्खाणमेयमुद्दाए / जं ते जिणपडिरूवा, धरति मुहपोत्तियं नवरं सिद्धपडिमासु. एवं, एगंतसुईसु असुइसंकप्पो / आसायणभीरूण वि, गुरुतरमासायणं कुणइ / मलरहियाणं ण्हाणं, कीरइ पूआनिमित्तमेएसि / न उ मलविगमनिमित्तं, सम्ममिणं भावियव्वं तु // 82 // // 83 // // 84 // // 85 // // 86 // // 87 //