________________ रागेण व दोसेण व, मोहेण व दूसिया मणोवित्ती. दुप्पडिहाणं भन्नइ, जिणविसए तं न कायव्वं // 64 // विकहा धरणयदाणं, कलहविवायाइगेहकिरियाओ। ... अणुचियवित्ती सव्वा, परिहरियव्वा जिणगिहम्मि // 65 // जइ आसायणभीरू, सुंदर ! एयाओ परिहरिज्जासु। अलियासायणसंकी, मा जिणभवणाई दूसेसु // 66 // एगम्मि वि जिणबिंबे, दि? हिययस्स होइ आणंदो / अहियाहियदंसणओ, अइप्पमाणो पवित्थरइ // 67 // . अणुहवसिद्धं एयं, पायं भव्वाण सुद्धबुद्धीणं / मयलिज्जइ जाण मणो, अन्नाणवियंभियं तेसि // 68 // जो एगचेइअगिहे, जिणबिंबविहावणे गुणो भणिओ / चउवीसवट्टयाइसु, सो चेव बुहेण विनेओ // 69 // जं पुण लोगविरुद्धं, हाणुदयाईण संगमे भणसि / तत्थ वि मज्झत्थमणो, निसुणसु साहेमि परमत्थं // 70 // असुइमलपूरियंगा, खलिमलकलुसीकयं सिणाणजलं / अहिमाणधणा पुरिसा, अन्नोनं नेव विसहति // 71 / / जुत्तो सो ववहारो, समाणपुरिसाण असुइदेहाणं / सुहपोग्गलघडिआणं, पडिमाण न जुज्जए वोत्तुं - // 72 // जलमज्झे घोलंतं, नरपडिबिंब न दूसए उदयं / पडिमाजलं पि एवं, अन्नोन्नं लग्गमाणं पि // 73 // पडिमापडिबिंबाणं, भेओ विउसाण सम्मओ नेय / जं एगत्था सद्दा, एए अभिहाणकंडेसु // 74 // पडिबिंबं पडिरूवं, पडिमाणं पडिकियं पडिच्छंदं / पडिकायं च पडितणुं, भणंति पडिजायणं छायं . // 75 // 58