________________ // 52 // // 53 // // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // वंदण-पूयण-बलिढोयणेसु एगस्स कीरमाणेसु / आसायणा न. दिट्ठा, उचियपवित्तिस्स पुरिसस्स कल्लाणगाइकज्जा, एगस्स विसेसपूअकरणे वि / नावन्नापरिणामो, धम्मियलोअस्स सेसेसु जह मिम्मयपडिमाए, पूआ पुप्फाइएहिँ खलु उचिया / कणयाइनिम्मिआणं, उचियतमा मज्जणाई वि उचियपवित्ती सव्वा, बुहेण आसायणा न वत्तव्वा / तयभावे पडिसेहो, पडिमाणाऽऽसायणा गरुई जं वायगेण भणियं, अंगुटुपमाणबिंबकारी वि / सग्गा-ऽपवग्गसंसग्गसुत्थिओ नियमओ होइ कारवणे पुन्नं विव, बिंबाण निवारणे महापावं / लाभच्छेयं सुंदर !, सम्मं भावेंति मज्झत्था / मिच्छासायणदंसी !, न मुणसि बिंबंतरायमइपावं / विंधसि सरेण वालं, चुक्कसि तं मंदरगिरिस्सं आसायणा अवन्ना, अणायरो भोग दुप्पणीहाणं / अणुचियवित्ती सव्वा, वज्जेयव्वा पयत्तेण पायपसारण पल्लत्थिबंधणं बिंबपट्ठिदाणं च / उच्चासणसेवणया, जिणपुरओ भन्नइ अवन्ना जारिसतारिसवेसो, जहा तहा जम्मि तम्मि कालम्मि / पूंयाइ कुणइ सुन्नो, अणायरासायणा 'एसा भोगो. दसप्पयारो, कीरंतो जिणवरिंदभवणम्मि / आसायण त्ति बाढं, वज्जेयव्यो जओ वुत्तं तम्बोल-पाण-भोयण-वाणह-थीभोग-सुयण-निट्ठयणं / मुत्तु-च्चारं जूयं, वज्जे जिणमंदिरस्संतो // 58 // // 59 // // 60 // // 61 // // 62 // . // 63 // 57