________________ एगस्सायरसारा, कीरइ पूआऽवरेसि थोवयरी / एसा वि महाऽवन्ना, लक्खिज्जइ निउणबुद्धीहिं // 40 // ण्हाणोदगाइसंगो, लोगविरुद्धो परुप्परं तेसिं / लोगोत्तमभावाओ, बहु मन्निज्जइ न हु बुहेहिं . // 41 // अह कोइ सबुद्धीए, ण्हवेइ एगं न सेसबिंबाणि। . . . पंतिगयवंचणं पिव, मन्ने एयं महापावं / // 42 // विणिवारिउं न सक्का, एवं आसायणा बहुपगारा / ता एगबिंबकरणं, सेयं मन्नामि गुरुराह, . // 43 // एवं जिणभवणम्मि वि, बीयं बिंबं न कारियं जुत्तं / तत्थ वि संभवइ जओ, पुव्वोइयदोसरिंछोली // 44 // भणइ परो सच्चमिणं, सम्मयमेयं पि सुहुमबुद्धीणं / भन्नइ गुरुणा सुंदर !, सुत्तविरुद्धं इमं वयणं // 45 // अट्ठसयं पडिमाणं, सासयभवणेसु वन्नियं सुत्ते / अट्ठावयम्मि चउवीस मज्झगेहे ततो बाहिं // 46 // चउमुह-तिदार-मुहपेच्छ-मंडवा थूभ-पडिम-चिइरुक्खे / इंदज्झय-पुक्खरिणी, पत्तेयं चउसु वि दिसासु // 47 // नंदीसरे वि दीवे, एसो चिय बाहिरे परीवारो। ' वन्निज्जइ सिद्धते, पडिमट्ठसयं च मज्झम्मि // 48 // इय सुत्तपमाणाओ, आयरणाओ य एगभवणम्मि / सइ सामत्थे जुत्तं, कारवणमणेगबिंबाणं नायग-सेवगबुद्धी, न होइ एएसु जाणगजणस्स / पेच्छंतस्स समाणं, परिवारं पाडिहेराइ // 50 // ववहारो पुण पढमं, पइट्ठिओ मूलनायगो एस / अवणिज्जइ सेसाणं, नायगभावो न उण तेण . . // 51 // // 49 // us