________________ // 28 // // 29 // // 30 // // 32 // // 33 // दंसण-नाण-चरित्ता-ऽऽराहणकज्जे जिणत्तिअं कोइ / परमेट्ठिनमोक्कार, उज्जमियं कोइ पंच जिणे. कल्लाणयतवमहवा, उज्जमियं भरहवासभावि त्ति / बहुमाणविसेसाओ, केई कारेंति चउवीसं उक्कोस सत्तरिसयं, नरलोए विहरइ त्ति भत्तीए / सत्तरिसयं पि कोइ, बिंबाणं कारइ धणड्डो इय बहुविहबिंबाई, सूरीहिँ पइट्ठियाइँ दीसंति / भवियाणंदकराई, पभावगाइं पवयणस्स सुत्ते पुण अट्ठसयं, सासयभवणाण देवछंदेसु / सुव्वइ जिणपडिमाणं, न निसेहो अनहाकरणे ता सुत्ताऽपडिसिद्धा, पवयणसोहावहा चिरपवत्ता / सच्चा न दूसिअव्वा, आयरणा मुत्तिकामेहिं जइ एवं किं भणिया, तिविहा हरिभद्दसूरिणा सुत्ते / जिणबिंबस्स पइट्ठा ?, जं भणिओ तत्थ एसत्थो वत्तिपइट्ठा एगा, खित्तपइट्टा महापइट्ठा य / एग-चउवीस-सत्तरसयाण सा होइ अणुकमसो भन्नइ तिविहपइट्ठाउवलक्खणमेव तत्थ तं भणियं / अवधारणविरहाओ, ओसरप्पाइपइट्ठाओ सव्वमसंगयमेयं, रूढं जमणेगबिंबकारवणं / आसायणा महंती, जं पयडा दीसए एत्थं बिंबं महंतमेगं, सेसाणि लहूणि कारयंतेण / गरुयलहुत्तं. तेसिं, पयडिज्जइ समगुणाणं पि पूआवंदणमाई, काऊणेगस्स सेसकरणम्मि / नायग-सेवगभावो, होइ कओ लोगनाहाणं ... 55 // 34 // // 35 // // 36 // / / 37 // // 38 // // 39 //