________________ पुच्छइ सीसो भयवं !, सुत्तोइयमेव साहिउं जुत्तं / / किं वंदणाहिगारे, आयरणा कीरइ सहाया ? // 16 // दीसइ सामन्नेणं, वुत्तं सुत्तम्मि वंदणविहाणं / .. नज्जइ आयरणाओ, विसेसकरणक्कमो तस्स // 17 // सूयणमेत्तं सुत्तं, आयरणाओ य गम्मइ तयत्थो / ... सीसायरियकमेण हि, नज्जते सिप्पसत्थाई // 18 // अंगो-वंग-पइन्नयभेया सुअसागरो खलु अपारो / को तरस मुणइ मझें, पुरिसो पंडिच्चमाणी वि ? // 19 // किंतु सुहझाणजणगं, जं कम्मखयावहं अणुट्ठाणं / अंगसमुद्दे रुदे, भणियं चिय तं तओ भणियं // 20 // सव्वप्पवायमूलं, दुवालसंगं जओ समक्खायं / रयणायरतुल्लं खलु, ता. सव्वं सुंदरं तम्मि // 21 // वोच्छिन्ने मूलसुए, बिंदुपमाणम्मि संपइ धरते / आयरणाओ नज्जइ, परमत्थो सव्वकज्जेसु // 22 // बहुसुयकमाणुपत्ता, आयरणा धरइ सुत्तविरहे वि / विज्झाए वि पईवे, नज्जइ दिटुं सुदिट्ठीहिं // 23 // जीवियपुव्वं जीवइ, जीविस्सइ जेण धम्मियजणम्मि / जीयं ति तेण मन्नइ, आयरणा समयकुसलेहिं . // 24 // तम्हा अनायमूला, हिंसारहिया सुझाणजणणी य / सूरिपरंपरपत्ता, सुत्त व्व पमाणमायरणा // 25 // जह एगं जिणबिंब, तिन्नि व पंच व तहा चउव्वीसं / सत्तरसयं पि केई, कारेंति विचित्तपणिहाणा // 26 // जिणरिद्धिदंसणत्थं, एगं कारेइ कोइ भत्तिजुओ. / पायडियपाडिहेरं, देवागमसोहियं चेव . // 27 // 54