________________ ण हि रयण-गुणाऽ-रयणे कयाचिदवि होंति उवल-साहम्मा / एवं वयण-उतर-गुणा ण होति सामण्ण वयणम्मि // 186 // ता एवं सण्णा-णाओ ण बुहेण अ-ट्ठाण-ट्ठावणाए उ। सइ लहुओ कायव्वो चास-पंचास-णाएणं // 187 // तह, वेए च्चिय भणियं सामण्णेणं, जहा-"ण हिंसिज्जा / भूआणि" फलुद्देसा पुणो य "हिंसिज्ज" तत्थेव // 188 // ता, तस्स पमाणत्ते वि एत्थ णियमेण होइ दोसु" त्ति / . फल-सिद्धिए वि, सामण्ण-दोस-विणिवारणा-5-भावा॥ 189 // जह वेज्जगम्मि दाहं आहेण निसेहिउं, पुणो भणियं - / "गंडा-ऽऽइ-खय-णिमित्तं करेज्ज विहिणा तयं चेव" // 190 // तत्तो वि किरमाणो ओह-णिसेहुब्भवो तहिं दोसो / जायइ फल-सिद्धिए वि, एवं इत्थ वि णायव्वं // 191 // कयमित्थ पसंगणं जहोचिया चेव दव्व-भाव-त्थया / अण्णो-ऽण्ण-समणु-विद्धा णियमेणं होंति णायव्वा // 192 // अप्प-विरियस्स पढमो, सह-कारि-विसेस-भूअमो सेओ / इयरस्स बज्झ-चाया इयरो च्चिय एस परम-ऽत्थो // 193 // दव्व-त्थयं पि काउं ण तरइ जो अप्प-विरिअत्तेणं / परिसुद्धं भाव-त्थयं काही सो 5-संभवो एस // 194 // जं सो उक्किट्ठयरं अविक्खइ विरियं इहं णियमा / ण. हि पल-सयं पि वोढुं अ-समत्थो पव्वयं वहइ // 195 // जो बज्झ-च्चाएणं णो इत्तरियं पि णिग्गहं कुणइ / इह अप्पणो सया से सव्व-च्चाए कहं कुज्जा ? // 196 // आरंभ-च्चाएणं नाणा-ऽऽइ-गुणेसु वड्ढमाणेसु / / दव्व-त्थय-परिहाणी वि ण होइ दोसाय परिशुद्धा // 197 //