________________ "ण य णिच्छओ वि हु तओ जुज्जइ पायं कहं चि, सण्णाया / . जं तस्सऽत्थ-पगासण-विसएह अइंदिया सत्ती ? // 174 // णो पुरिस-मित्त-गम्मा तद-ऽतिसओ वि ण बहु-मओ तुम्हें / लोइअ-वयणेहिता दिटुं च कहिं वि [चि] वेहम्मं ? // 175 // ताणीह पोरिसेयाणि, अ-पोरिसेयाणि वेय-वयणाणि / . सग्गुव्वसी-प्पमुहाणं दिट्ठो तह अत्थ-भेओ वि ? - // 176 // "ण य तं स-हावओ च्चिय स-ऽत्थ-पगासण-परं पईओ व्व / समय-विभेआ-5-जोगा, मिच्छत्त-फ्गांस-जोगा य // 177 // इंदीवरम्मि दीवो पगासइ रत्तयं अ-संतं पि / चंदो वि पिअ-वत्थं "धवलं" ति, ण [य] णिच्छओ तत्तो // 178 // एवं णो कहिया-ऽऽगम-पओंग-गुरु-संपयाय-भावो वि / जुज्जइ सुहो इहं(अं)खलु णाएणं, छिन्न-मूलत्ता // 179 // "ण कयाइ इओ कस्सइ इह णिच्छयमो कहिंचि वत्थुम्मि / जाओ" त्ति कहइ एवं जं सो तत्तं, स वामोहो // 180 // तओ अ आगमो जो विणेय-सत्ताण, सो वि एमेव / / तस्स पओगो चेवं, अ-णिवारणगं च नियमेणं // 181 // णेवं परंपराए माणं एत्थ गुरु-संपयाओ वि / रूव-विसेस-ट्रवणे जह जच्च-उधाण सव्वेसिं // 182 // "भवतो वि य सव्व-ण्णू सव्वो आगम-पुरस्सरं जेणं / ता सो अ-पोरुसेओ, इयरो वा णाऽऽगमो जो उ" // 183 // णोभयमवि, जमऽणा-ऽऽई बीय-5 कुर-जीव-कम्म-जोग-समं / अह वऽत्थतो उ एवं, ण वयणओ, वत्त-ऽहीणं तं // 184 / / "वेय-वयणम्मि सव्वं णाएणाऽ-संभवंत-रूवं जं / ता, इयर-वयण-सिद्धं वत्थु कहं सिज्झइ तत्तो ?" // 185 // 46