________________ "एगिदिया-ऽऽइ-भेयो ऽवित्थ णणु पाव-भेय-हेउ" ति / . इट्ठो तए ऽवि स-मए तह सुद्द-दि-आ-ऽऽइ-भेएणं // 150 // "सुदाण सहस्सेण ऽवि ण बंभ-हच्चेह घाइएणं" ति / जह, तह अप्प-बहुत्तं, एत्थ वि गुण-दोस-चिंताए * // 151 // अप्पा य होइ एसा एत्थं जयणाए वट्टमाणस्स / / जयणा उ धम्म-सारो विण्णेया सव्व-कज्जेसु // .152 // जयणेह धम्म-जणणी जयणा धम्मस्स पालणी चेव / तव्वुड्ढि-करी जयणा एग-इंत-सुहा-ऽऽवहा जयणा // 153 // जयणाए वट्टमाणो जीवो समत्त-णाण-चरणाणं / . सद्धा-बोहा-ऽऽसेवण-भावेणाऽऽराहगो भणिओ // 154 // एसा य होइ णियमा तय-ऽहिग-दोस-विणिवारणी जेण / तेण णिवित्ति-पहाणा विण्णेया बुद्धिमंतेणं // 155 // सा इह परिणय-जल-दल-विसुद्ध-रूवा उ होई विण्णेया / अत्थ-व्वओ महंतो, सव्वो सो धम्म-हेउ" ति // 156 // एत्तो च्चिय णिदोसं सिप्पा-ऽऽइ-विहाणमो जिणिदस्स / लेसेण स-दोसं पि हु बहु-दोस-णिवारणत्तेणं // 157 // वर-बोहि-लाभओ सो सव्वुत्तम-पुण्ण-संजुओ भयवं / एग-ऽत-पर-हिअ-रओ, विसुद्ध-जोगो, महा-सत्तो // 158 // जं बहु-गुणं पंयाणं, तं णाऊणं तहेव देसेइ / तं रक्खंतस्स तओ जओचिअं कह भवे दोसो ? // 159 // तत्थ पहाणो अंसो बहु-दोस-निवारणेह जग-गुरुणो / .. नागा-ऽऽइ-रक्खणे जह कड्ढण-दोसे वि सुह-जोगो // 160 // एवं णिवित्ति-पहाणा विण्णेया तत्तओ अहिंसेयं / . जयणावओ उ विहिणा पूआ-ऽऽइ-गया वि एमेव // 161 //